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भाषाटीकास ०-अ० ३६. (२३७) उदय तथा अस्त होनेके समय सूर्य वा चंद्रमाका वर्ण बुरा ( गाधला) दीखे अथवा शहदसरीखा वर्ण दीखे अथवा अत्यंत पवन चले तो वर्षा बहुत होतीहै । १९॥ इति श्रीनारदीयसंहिताभाषाटीकायां सद्योवृष्टिलक्षणाध्यायः पंचत्रिंशतमः ।। ३५॥ प्राङ्मुखस्य तु कूर्मस्य नवांगेषु धरामिमाम् ॥ विभज्य नवधा खंडमंडलानि प्रदक्षिणम् । अंतर्वेदी च पांचालं तस्येदं नाभिमंडलम् ॥ १॥ पूर्वकी तर्फहै मुख जिसका ऐसे कूर्मक नव अंगोविषे इस पृथ्वीका विभाग करना अर्थात् पूर्वाभिमुख कूर्मचक्र बनाकर एक खंडके नव विभाग बनाकर प्रदक्षिणक्रमसे मंडल बनावे तिस कूर्मका नाभि- मैडल, ( मध्यभाग, ) अंतर्वेदी अर्थात् गंगा यमुनाका मध्यभाग और पांचाल, पंजाब देश कूर्मचक्रका नाभिमण्डलहै ।। १ ॥ प्राचां मागधलाटादिदेशास्तन्मुखमंडलम् । स्त्रीकलेयकिराताख्यादेशास्तद्बाहुमंडलम् ॥ २ ॥ तहां पूर्वके मध्यमें मागध,लाट आदिदेश तिसका मुखमंडल हैं स्त्रीकलेय, किरात ये देश तिसके बाहुमंडलहैं ॥ २ ॥ अवंतिद्राविडा भिल्लदेशास्तपार्श्वमंडलम् । गौडकोंकणशाल्वेष्टपुण्ड्रास्तत्पार्श्वमंडलम् ॥ ३ ॥ अवंती, उज्जैन प्रांतदेश, द्राविड, भिल्लदेश ये तिसके पार्श्व