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भाषाटीकास ०-अ० २. ( १९ ) और मिश्रा तथा संक्षिप्ता गतिमें भी शुभफल होता है अन्य गतियोंमें अशुभफल होता है वैशाख, श्रावण, पौष, आषाढ इन महीनोंमें बुध उदय होय तो मनुष्योंको अशुभ फल देता है और अन्य महीनोंमें उदय हो तो शुतफल देताहै । आश्विन और कार्त्तिकमें उदय होय तो युद्ध,दुर्भिक्ष, अग्निक्षय थे फल करता है और चांदी तथा स्फटिक मणिके समान स्वच्छ उदय हो तो बुध शुभ कहा है ॥ १४ ॥ १५ ॥ इति श्रीनारदसंहिताभाषाटीकायां बुधचारः । अथ गुरुचारः। द्विभा ऊर्जादिमासास्स्युः पंचांत्यैकादशस्त्रिभाः ॥ यद्धिष्ण्याभ्युदितो जीवस्तन्नक्षत्राह्वत्सरः॥ १॥ कार्तिक आदि मास दो २ नक्षत्रोंसे होते हैं और पांचवाँ बारह वाँ ग्यारहवाँ ये महीने तीन २ नक्षत्रोंसे होते हैं जिस नक्षत्रपर बृहस्पति उदय हो उसही नामक वर्ष होता है इसका भाचार्य यह है कि, कृत्तिका आदि दो दो नक्षत्रकरके कार्तिक आदि वर्ष होते हैं । पाचवें ग्यारहवाँ बारहवाँ ये वर्ष तीन २ नक्षत्रोंकरके होतेहैं जैसे कि, कृत्तिका वा रोहिणीपर स्थित बृहस्पति उदय हो उस वर्षको कार्तिक कहते हैं, मृगशिर आर्द्रामें मार्गशिर वर्ष, पुनर्वसु पुष्यमें पौष, आश्लेषा मधामें माघ,पूर्वाफाल्गुनी उत्तराफाल्गुनी हस्तमें फाल्गुन, चित्रा स्वातिमें चैत्र, विशाखा अनुराधामें वैशाख, ज्येष्ठ