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( २७८ ) नारदसंहिता । और पुष्यनक्षत्रमें जन्म होय तो पंडित, सुंदर,ऐश्वर्यवान्, शूरवीर कृपालु, धार्मिक, धनी, कलाओंको जाननेवाला, सत्यवादी, सरल ऐसा मनुष्य होता है । ८ । श्रेष्ठो धूर्तः क्रूरशूरौ परदाररतः शठः ॥ अवक्रो व्यसनी दांतः सार्पनक्षत्रजो नरः ॥ ९ ॥ आश्लेषा नक्षत्रमें जन्मनेवाला मनुष्य श्रेष्ठ, धूर्त, क्रूर, शूरवीर परस्त्रीगामी, मूर्ख, कुटिलतारहित, व्यसनी, जितेंद्रिय होता है।९।। शूरः स्थूलहनुः कुक्षो कोपवक्तास्रहः प्रभुः । गुरुदेवार्चने सक्तस्तेजस्वी पितृधिष्ण्यजः ॥ १० ॥ मघानक्षत्रमें जन्मनेवाला मनुष्य शुरवीर,भारीठोडीवाला, स्थूल- कटिवाला, क्रोधके वचन बोलनेवाला, नहीं सहनेवाला, समर्थ, गुरु तथा देवताके यजनमें आसक्त, तेजस्वी होता है । १० ॥ द्युतिमानटनो दाता नृपशास्त्रविशारदः । कार्याकार्यविचारज्ञो भाग्यनक्षत्रजः पटुः ॥ ११ ।। पूर्वफाल्गुनी नक्षत्रमें जन्मनेवाला पुरुष विचरनेवाला, दाता, नृपशास्त्रमें निपुण, कार्य अकार्यके विचारमें निपुण तथा चतुर होता है ।। ११ ।। जितशत्रुः सुखी भोगी प्रमदामर्दने कविः । कलाभिज्ञः सत्यरतः शुचिः स्यादर्यमर्क्षजः ॥ १२ ॥ उत्तराफाल्गुनीमें जन्मनेवाला जन शत्रुओंको जीतता है सुखी तथा भोगी स्रियोंसे क्रीडा करनेमें चतुर, कलाओंको जाननेवाला, सत्यरत और पवित्र होता है । १२ ।