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( २८० ) नारदसंहिता । सु राजाके कार्यमें तत्पर, शूरवीर,विदेशमें रहनेवाला, स्त्रियोंका मालिक, सुंदररूपवान्, गुप्त पापकरनेवाला, पिंगलवर्ण ऐसा पुरुष अनुराधा नक्षत्रमें जन्मनेवाला होता है ॥ १७ ॥ बहुव्ययपरः क्लेशसहः कामी दुरासदः ॥ कूरचेष्टो मृषाभाषी धनवानिंद्रधिष्ण्यजः ॥ १८ ॥ बहुतखर्चनेवाला क्लेशको सहनेवाला कामी मुशकिलसे प्राप्त होनेवाला, क्रूरचेष्टावाला, झूठबोलनेवाळा, धनवान् ऐसा पुरुष ज्ये ष्ठानक्षत्रमें जन्मनेवाला होता है ।। १८ ।। हिंस्रो मानी च भोगी च परकार्यप्रकाशकः ॥ मिथ्योपचारस्त्रीलोलः श्लक्ष्णो नैर्ऋतधिष्ण्यजः॥ १९॥ जो मूलनक्षत्रमें जन्मे वह हिंसक, अभिमानी, भोगी, पराये कामको प्रकटकरनेवाला, मिथ्या उपचारकरनेवाला स्त्रि विषे चंचल, चतुर होता है ।। १९ ।। सुकलत्रः कामचारः कुशलो दृढसौहृदः ॥ क्लेशभाग्वीर्यवान्मानी जलनक्षत्रसंभवः ॥ २० ॥ पूर्वाषाढमें जन्मनेवाला पुरुष सुंदर स्त्रीवाला, कामी, चतुर, दृढप्रीतिवाला,क्लेश सहनेवाला, बलवान,अभिमानी होता है।।२०।। नीतिज्ञो धार्मिकः शूरो बहुमित्रो विनीतवान् । सुकलत्रः सुपुत्राढ्यश्चोत्तराषाढसंभवः ॥ २१ ॥ जो उत्तराषाढमें जन्मे वह नीतिशास्त्रको जाननेवाला, धार्मिक, शूरवीरबहुत मित्रोंवाला, नीतिशास्त्रको जाननेवाला, सुंदर स्त्री और सुंदर पुत्रोंसे युक्त होता है ।। २१ ।।