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भाषाटीकास०-अ० ५३. (२८७) कार्तिकशुक्ला पूर्णिमाको अथवा वैशाखशुक्ला पूर्णिमाको उपवासव्रतकरके बैल छोडे (आंकिल छोडे ) भक्तिसे युक्तहोकर शिवजीकी प्रीतिके वास्ते ऐसे करनेवाला पुरुष स्वर्गमें प्राप्त होता है ।। २२ ।। घटांत्यक्षे नृयुग्मेषु कन्या कीटतुलाधनुः॥ कुलीरमृगासिंहाश्च चैत्राद्यः शून्यराशयः २३ ॥ और कुंभ, मीन, वृष, मिथुन, कन्या, वृश्चिक, तुला, धनु, कर्क, मकर, सिंह ये राशि यथाक्रमसे चैत्र आदि महीनोंमें शून्य जाननी जैसे चैत्रमें कुंभं ; वैशाखमें मीन इत्यादि ॥ । २३ ॥ अथ तिथिशून्यलग्नानि। तुलामृगौ प्रतिपदि तृतीयायां हरिर्मृगः ॥ पंचम्यां मिथुनं कन्या सप्तम्यां चापचांद्रभे ॥२४॥ प्रतिपदा तिथिविषे तुला और मकर लग्न शून्य है तृतीयाविषे सिंह और मकर, पंचमीविषे मिथुनकन्या, सप्तमीविषे धन कर्क लग्न शून्य है ।। २४ ।। नवम्यां हरिकीटौ द्वावेकादश्यां गुरोर्गृहे । त्रयोदश्यां झषवृषौ दिनदग्धाश्च राशयः ॥ २५ ॥ नवमीविषे सिंह वृश्चिक, एकदशीविषे धन मीन,त्रयोदशीविषे मीन वृष लग्न शून्य (दग्ध ) कहे हैं ॥ २५ ॥ मासदग्धाह्वयात्राशीन्दिनदग्धांश्च वर्जयेत् ॥ २६ ॥ इसप्रकार मासदग्ध राशियोंको और दिनदग्ध राशियोंको वर्ज देवे ॥ २६ ॥