पृष्ठम्:नारदसंहिता.pdf/२९५

एतत् पृष्ठम् परिष्कृतम् अस्ति

( २८८) नारदसंहिता । अथ मासशून्यतिथयः। अष्टमी नवमी चैत्रे पक्षयोरुभयोरपि । वैशाखे द्वादशी शून्या पक्षयोरुभयोरपि ॥ २७॥ चैत्रके दोनों पक्षेमें अष्टमी नवमी तिथि शून्य जाननी और वैशाखमें दोनोंपक्षोंमें द्वादशी शून्य जाननी ॥ २७ ॥ ज्येष्ठे त्रयोदशी शुक्ला कृष्णपक्षे चतुर्दशी । आषाढ कृष्णपक्षेपि षष्ठ शुक्रेऽथ सप्तमी ॥ २८॥ ज्येष्ठमें शुक्लपक्षमें त्रयोदशी, कृष्णपक्षमें चतुर्दशी और आषाढमें कृष्णपक्षमें षष्ठी, शुक्लपक्षमें सप्तमी शून्यतिथि जाननी ।। २८ ।। श्रावणेपि द्वितीया च तृतीया पक्षयोर्द्वयोः ॥ प्रौष्ठपदे सिते कृष्णे द्वितीया प्रथमा तथा ॥ २९॥ श्रवणमें दोनों पक्षोंमें द्वितीया, तृतीया, शून्य जाननी भाद्रपद शुक्लपक्षमें वा कृष्णमें प्रथमा द्वितीया शून्य तिथि जाननी ।। २९ ।। । सिते कृष्णेष्याश्वयुजि दशम्यैकादशी तथा ॥ कार्तिके च सिते पक्षे चतुर्दशी शराऽसिते ॥ ३० ॥ अश्विनमें दोनों पक्षोंमें दशमी एकादशी शून्य तिथि जाननी कार्तिकमें शुक्लपक्षमें चतुर्दशी और कृष्णपक्षमें पंचमी तिथि शून्य जाननी ॥ ३० ॥ मार्गेऽद्रिनागसंज्ञेऽपि पक्षयोरुभयोरपि । पौषे पक्षद्वये चैव चतुर्थी पंचमी तथा ॥ ३१॥ मार्गशीर्षमें दोनों पक्षोंमें सप्तमी अष्टमी शून्य जाननी पौषमें दोनों पक्षोंमें चतुर्थी पंचमी शून्य जाननी ॥ ३१ ॥