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( ४ ) भूमिका। उपयोगी कर्मका वर्णन सरल बडे श्लोकों द्वारा ३५ अध्यायोंमें किया गयाहै देवर्षि नारदकी महिमा कौन नहीं जानता जैसे योगी विज्ञा नवेत्ता यह हैं अपनी तत्त्वज्ञानकी महिमासे बडे २ गूढ विषय इन्होंने स्वनिर्मित इस ‘नारदसंहिता” में रक्खेहैं । और भी अनेक ज्योतिष ग्रन्थ उत्तम २ विद्यमानहैं । परन्तु यह नारद संहिता आर्ष ग्रन्थ है । इसका वेदाङ्ग होना यथार्थही है। सुबोध होनेपर भी कहीं २ विषयके गहन होनेसे शास्त्र कठिन होताही है इससे सर्वसाधारण इसके समस्त आशयको भलीभांति जानसकें यह समझकर हमने बेरी-आमनिवासी पण्डित वसतिराम ज्योतिर्विद् द्वारा भाषाटीका बनवायकर इस संहिताको सुन्दर टाइप और कागजमें मुद्रित कराकर उत्तम जिल्द बँधाय तैयार कियाहै आशा है कि लोग इस ग्रन्थका अध्ययन कर अपना तथा दूसरोंका उपकार करेंगे.