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भाषाटीकास ०-अ० २. ( ३५ ) क्षेमः सुभिक्षदाः श्वेताः केतवः सोमसूनवः । पितामहात्मजः केतुः त्रिवर्णास्त्रिशिखान्विताः ॥ ११ ॥ सफेद वर्णवाले केतु चन्द्रमाके पुत्र कहे हैं वे क्षेम कुशल और सुभिक्ष करनेवाले हैं ब्रह्माका पुत्र केतु तीन वर्णोवाला तथा तीन शिखाओंवाला कहा है ॥ ११ ॥ ब्रह्मदंडाद्वयः केतुः प्रजानामंतकृत्सदा ॥ ऐशान्यां भार्गवसुताः श्वेतरूपास्त्वनिष्टदाः ॥ १२ ॥ वह बलदण्ड नामक केतु है सदा प्रजाको नष्ट करनेवाला है सफेद रूपवाले केतु ईशान दिशामें उदय होते हैं वे शुक्रके पुत्र अशु भफलदायी हैं । १२ ।। अनिष्टदाः पंगुसुताः द्विशिखाः कनकाह्वयाः । विकचाख्या गुरुसुता नेष्टा याम्यस्थिता अपि ॥१३॥ दो शिखाओंवाले सुवर्णसरीखे वर्णवाले केतु शनिके पुत्र हैं वे अशुभ कहे हैं । विकच नामक केतु दक्षिण दिशामें उदय होते हैं । वे बृहस्पतिके पुत्र अशुभ हैं ।। १३ ।। सूक्ष्माः शुक्लाः बुधसुता घोराश्चौरभयप्रदाः ॥ कुजात्मजाः कुंकुमाख्या रक्ताः शूलास्त्वनिष्टदां॥१४॥ सूक्ष्मरूप, श्वेतवर्ण, केतु बुधके पुत्र हैं वे घोर हैं चोरोंका भय करते हैं । छाल वर्णवाले कुंकुम नामक केतु मंगलके पुत्र कहे हैं वे अशुभ फलदायक हैं ॥ १४ ॥