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आषाटीकास०-अ० ५. (६३ ) शंख मोती चांदी वृक्ष ईख स्त्रीका आभूषण पुष्प गीत यज्ञ दूध खेती ये कर्म सोमवार में करने चाहियें ॥ २ ॥ विषाग्निबंधनस्तेयं संधिविग्रहमाहवे । धात्वाकरप्रवालास्त्रकर्मभूमिजवासरे ॥ ३॥ विष अग्नि बंधन चोरी युद्धमें संधि या विग्र धातु खजान मूँगा शस्त्रकर्म ये मंगलवारमें करने चाहियें ।। ३ ।। नृत्यशिल्पकलागीतलिपिभूरससंग्रहम् । विवाहधातुसंग्रामकर्म सौम्यस्य वासरे ॥ ४ ॥ नृत्य शिल्पकला गीत लिखना पृथ्वीके रसोंका संग्रह विवाह धातु संग्राम ये कर्म बुधवारमें करने चाहिये ।। ४ ।। यज्ञपौष्टिकमांगल्यं स्वर्णवस्त्रादिभूषणम् । वृक्षगुल्मलतायानकर्म देवेज्यवासरे ॥ ६ ॥ यज्ञ पौष्टिक कर्म मांगल्यकर्म सुवर्ण वस्त्र आदिका श्रृंगार वृक्ष गुच्छा लता सवारी ये कर्म बृहस्पति वारमें करने चाहियें ॥ ५॥ नृत्यगीतादिवादित्रस्वर्णश्रीरत्नभूषणम् ॥ भूषण्योत्सवगोधान्यकर्म भार्गववासरें ॥ ६ ॥ नृत्य, गीतबाजा, सुवर्ण, स्त्री, रत्न, आभूषण, भूमि दूकान, उत्सव, गैौ, धान्य इन्होंके कार्य शुक्रवार विषे करने चाहियें ।। ६ ॥ त्रपुसीसायसोऽमात्रविषपापासवानृतम् ॥ स्थिरकर्माखिलं वास्तुसंग्रहं सौरिवासरे ॥ ७ ॥ रॉग, सीसा, लोहा, पत्थर, शस्त्र, विष, पाप, मदिरा, झूँठ, स्थिरकर्म, वास्तुकर्म ( घरमें प्रवेश ) संग्रह, ये कर्म शनिवारमें करने शुभ हैं ॥ ७ ॥