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भाषाटीकास०-अ० ६. (६७) दिनरात्रिमें यथाक्रमसे २॥ अढाई घडीकी काल होरा जानना जिसग्रहके वारमें जो काम करना कहा है वही काम उसी वारकी होरामें भी सदा करलेना चाहिये जैसे रविवारको चंद्रमाकी होरा आवै तब चंद्रवारके कार्य करने योग्य हैं ॥ । २० ॥ । इति श्रीनारदसंहिताभाषाटीकायां वारलक्षणाध्यायः पंचमः।। ५॥ नक्षत्रेशाः क्रमाद्दस्रयमवह्निपितामहः॥ चंद्रशाऽदितिजीवाहिपितरो भगसंज्ञिताः ॥ १ ॥ दस्त्र ( अश्विनीकुमार ) १ यम २ वह्नि ३ ब्रह्मा ४ चंद्रमा ५ शिवजी ६ अदिति ७ बृहस्पति ८ सर्प ९ पितर १० भग ३ १ । १ ।। अर्यमार्कत्वष्टुमरुच्छक्राग्निमित्रवासवाः॥ निर्ऋत्युदविश्वविधि गोविंदवसुतोयपाः ॥ २॥ अर्यमा १२ सूर्य १३ त्वष्टा १४ वायु १५इंद्राग्नि १६ मित्र १७ इंद्र १८ निर्ऋति १९ जल २० विश्वेदेवा २१ ब्रह्मा २२ विष्णु २३ वसु २४ वरुण २५ ।। २ ।। ततोऽजपादहिर्बुध्न्यः पूषा चेति प्रकीर्तिताः ॥ वस्त्रोपनयनं क्षौरः सीमंताभरणक्रिया ॥ ३ ॥ अजैकपाद् २६ अहिर्ब्रुध्न्य २७ पूषा ८ ऐसे ये २७ देवता आश्विनी आदि २७ नक्षत्रोंके स्वामी कहेहैं। अब इन नक्षत्रौमें करने योग्य कार्योको कहते हैं वस्त्र यज्ञोपवीत और सीमंत आभूषण कर्म ।। ३ ।। + !