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(६८) नारदसंहिता। स्थापनाश्वादियानं च कृषिविद्यादयोऽश्विभे ॥ वापीकूपतडागादि विषशस्त्रोग्रदारुणम् ॥ ४ ॥ प्रतिष्ठा, घोड़ा आदि सवारी, खेती विद्या पढना इत्यादि काम अश्विनी नक्षत्रमें करने शुभ हैं और बावड़ी कुँवा तलाब कराना। विष शस्त्र उग्र दारुण काम ॥ ४ ॥ बिलप्रवेशगणितनिक्षेपा याम्यभे शुभाः ॥ अग्न्याधानास्त्रशस्त्रोग्रसन्धिविग्रहदारुणाः ॥ ४ ॥ गुफामें प्रवेश होना गणित विद्या धरोहड़ जमा करना ये कार्यं भरणी नक्षत्रमें करने शुभ हैं अग्निस्थापन अस्र शस्त्र उग्रकर्म संधि दारुण विग्रह ।। ५ ।। संग्रामौषधवादित्रक्रियाः शस्ताश्च बाह्निभे ॥ सीमंतोपनयनोद्वाहवस्त्रभूषास्थिरक्रियाः ॥ गजवास्त्वभिषेकाश्च प्रतिष्ठा ब्रह्मभे शुभाः ॥ ६ ॥ संग्राम औषध बाजा ये काम कृत्तिका नक्षत्रमें करने शुभ हैं, और सीमंतकर्म, यज्ञोपवीत,विवाह,वस्रपहिनना, आभूषण, स्थिरक्रिया, व हाथी लेना, वास्तुकर्म, अभिषेक, प्रतिष्ठा ये कर्म रोहिणी नक्षत्रमें शुभ हैं । ६ ॥ प्रतिष्ठाभूषणोद्वाहसीमंतोपनयनक्रियाः ॥ क्षौरवास्तुगजोष्ट्राश्च यात्रा शस्ता च चंद्रभे ॥ ७ ॥ प्रतिष्ठा, आभूषण, विवाह, सीमंतकर्म, उपनयन, क्षौर, वास्तु कर्म, हाथी, ऊंटका काय, यात्रा ये मृगशिरा नक्षत्रमें शुभ हैं ।। ७॥