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भाषाटीकास ०-अ• ६. ( ६९ ) ध्वजतोरणसंग्रामप्राकारास्त्रक्रियाःशुभाः ॥ संधिविग्रहवैतानरसाद्याःशिवभे शुभाः ॥ ८ ॥ ध्वजा, तोरण, संग्राम, किला, ( कोट ) शस्र क्रिया संधि, विग्रह मंडप, रसक्रिया, ये कर्म आर्द्रा नक्षत्रमें करने शुभ हैं ॥ ८॥ प्रतिष्ठा यानसीमंतवस्रवास्तूपनायनम् ॥ क्षीरास्त्रकर्मादितिभे विधेयं धान्यभूषणम् ॥ ९॥ प्रतिष्ठा गमन, सीमंतकर्म, वस्त्रकर्म, वास्तु, उपनयन, क्षौरकर्म, अस्त्रकर्म, धान्य, आभूषण, ये कार्यं पुनर्वसु नक्षत्रमें करने शुभ हैं।। ९ ।। यात्राप्रतिष्ठासीमंतव्रतबंधप्रवेशनम् ॥ करग्रहं विना सर्वं कर्म देवेज्यभे शुभम् ॥ १० ॥ यात्रा, प्रतिष्ठा,सीमंत, यज्ञोपवीत, गृहप्रवेश ये कर्म तथा विवाह कर्म विना अन्य सब कार्यं पुष्य नक्षत्रमें करने शुरू हैं ।। १० ॥ अनृतव्यसनद्यूतक्रोधाग्निविषदाहकम् ॥ विवादरसवाणिज्यं कर्म कद्रुजभे शुभम् ॥ ११ ॥ झठ, व्यसन, जूवा, क्रोध, अग्नि, विष, दाह, विवाद, रस, वाणिज्य ये कर्म आश्लेषा नक्षत्रमें करने शुन हैं ।। ११ ॥ कृषिवाणिज्यगोधान्यरणोपकरणादिकम् ॥. विवाहनृत्यगीताद्यं निखिलं कर्म पैत्रभे ॥ १२ ॥ खेती, वाणिज्य, गैौ, धान्य, रण, कोई वस्तुसंचय तैयारी,विवाह, नृत्य, गीत ये सब कर्म मघा नक्षत्रमें करने शुभ हैं ॥ १२॥