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( ७० ). नारदसंहिता । विवादविषशस्त्राग्निदारुणोग्राहादिकम् । पूर्वत्रयेऽखिलं कर्म कर्तव्यं मांसविक्रयम् ॥ ३३ ॥ विवाद विष शत्र अनि दारुण उग्रकर्म युद्ध मांस वेचन इत्यादि कर्म तीनों पूर्वाओंमें करने शुभ हैं ।। १३ ।। वस्त्राभिषेकलोहाश्मविवाहव्रतबंधनम् ॥ प्रवेशस्थापनाश्वेभवास्तुकर्म्मोत्तरात्रये ॥ १४ ॥ वस्त्र अभिषेक लोहा पत्थर विवाह यज्ञोपवीत प्रवेश प्रतिष्ठा कर्म घोडा हाथी वास्तुकर्म ये सब कार्य तीनों उत्तराओंमें करने शुभ हैं ।। १४ ।। प्रतिष्ठोद्वाहसीमंतयानवस्त्रोपनायनम् ॥ क्षौरवास्त्वभिषेकाश्च भूषणं कर्म भानुभे ॥ १५॥ प्रतिष्ठा विवाह सीमंतकर्म सवारी वस्त्र उपनयनकर्म क्षर वास्तु कर्म अभिषेक आभूषण ये कर्म हस्त नक्षत्रमें करने शुभ हैं ।।१५। प्रवेशवस्त्रसीपंतप्रतिष्ठानतबंधनम् ॥ त्वाष्ट्रभे वास्तुविद्य च क्षौरभूषणकर्म यत् ॥ १६॥ प्रवेश वस्त्र सीमंत प्रतिष्ठा यज्ञोपवीत वास्तुविया क्षर आभूषण ये कर्म चित्रा नक्षत्रमें करने शुभ हैं ॥ १६॥ प्रतिष्टोपनयोद्वाहवस्त्रसीमंतभूषणम् ॥ प्रवेशाभकृष्यादिक्षौरकर्म समीरभे ॥ १७॥ प्रतिष्ठा उपनयन विवाह वस्त्र सीमंतकर्म आभूषण प्रवेश घोडा हाथी खरीदना खेती क्षौरकर्म ये स्वाति नक्षत्रमें करनेशुभहैं ।१७। A