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(७२) नारदसंहिता प्रतिष्ठा, क्षौर, सीमंत, सवारी; उपनयन; औषध पुराना घर चिनना इन कामोंमें श्रवण नक्षत्र शुभ है।तीनों पूर्वो तीनों उत्तराओं का फल एकत्र कह चुकेहैं। २२॥ वस्त्रोपनयनं क्षीरं मौंजीबंधनभेषजम् । वसुभे वास्तुसीमंतप्रवेशाश्च विभूषणः॥ २३ ॥ वज्ञउपनयनकर्म, क्षौर, मौंजीबंधन, औषध, वास्तुकर्म, सीमंत; गृहप्रवेश, आभूषण ये कर्म धनिष्ठानक्षत्रमें करने शुभ हैं ।। २३ ।। वेशस्थापनं क्षौरमौंजीबंधनभेषजम् ॥ अश्वरोहणसीमंतवास्तुकर्म जलेशभे ॥ २४ ॥ गृह्नप्रवेश, प्रतिष्ठा, क्षौर, मौंजीबंधन, औषध धोडेकी सवारी करना, सीमंत, वास्तुकर्म ये शतभिषा नक्षत्रमें करने शुभहैं ।। २४ ।। विवाहव्रतबंधाश्च प्रतिष्ठायानभूषणम् । वेशवत्रसीमंतक्षौरभेषजमंत्यमी ॥ २९ ॥ विवाह, ब्रतबंध, प्रतिष्ठा, सवारी, आभूषण, प्रवेश, वस्र, सीमंत, क्षौर, औषध, ये रेवती नक्षत्रमें करने शुभहैं ।२५॥ पूर्वत्रयाग्निसूलाहिद्विदैवत्यमघांतकम् ॥ अधोमुखं तु नवकं भानां तत्र विधीयते ॥ २६ ॥ तीनों पूर्वा, कृत्तिक, मूळ, आश्लेषा, विशाखा,मया, अरणी ये व नक्षत्र अधोमुख संज्ञक हैं ।। २६ ॥ ॥ इति अधोमुखम् । बिलप्रवेशगणितभूतसाधनलेखनम् ॥ शिल्पकर्म लताकूपनिक्षेपोद्धरणादि यत् ॥ २७ ॥