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भाषाटीकास ०-अ० ६. (७५) चित्रा पुनर्वसु अश्विनी, श्रवण, रेवती हस्त, अनुराधा, धनिष्ठा, मृगशिर इन नक्षत्रोंमें बालकोंके कान विंधवाने चाहियें अश्विनी, मृगशिर, पुनर्वसु, पुष्य, हस्त, चित्रा, स्वाति इन नक्षत्रोंमें हाथीका लेना देना शुभहै । और स्थिरसंज्ञक नक्षत्रोंमें सेरेना देना शुझ है ॥ ३५ ॥ । ३६ ॥ अथ अश्वमुहूर्त । सुदिने चरभे क्षिप्रे मृदुभे स्थिरभेषु च। द्वाजिकर्माखिलं कर्म सूर्यवारे विशेषतः ॥ ३७॥ चंद्रबल आदि से शुभवार हो और चरसंज्ञकःक्षिप्र मृदु और स्थिरसंज्ञक नक्षत्र होवें तब सब प्रकारसे घोडोंका कार्य ( बेचना खरीदना आदि ) करना रविवार विषे शुभ कहा है । ३७ ॥ चित्राश्रवणवैरिचित्र्युत्तरासु गमागमम् । दर्शाष्टम्यां चतुर्दश्यां पशूनां न कदाचन ॥ ३८ ॥ चित्रा श्रवण रोहिणी तीनों उत्तरा इन नक्षत्रोंमें तथा अमावस्या अष्टमी चतुर्दशी इन तिथियोंमें गौ बैल आदि पशुओंको खरीदके घरमें नहीं लावे और घरसे बाहर भी नहीं निकालै ॥ ३८ ॥ अथ हलप्रवाहमुहूर्तः । मृदुध्रुवक्षिप्रचरविशाखापितृभेषु च॥ हतप्रवाहं प्रथमं विदध्यान्मूलेभ वृषैः॥ ३९॥ मृदु ध्रुव क्षिप्र चर इन संज्ञावाले तथा विशाखा और मघा