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भाषटीकासo--→ ० १०, ( ९१ ) • हो चंद्रवारमें मृगशिर, मंगलको अश्विनी और बुधको अनुराधा, बृहस्पतिको पुष्य नक्षत्र होय शुक्रको रेवती शनिको रोहिणी नक्षत्र होय तब ये सिद्धयोग होजाते हैं ऐसे यह आनंद आदि योगोंका क्रम पंडित जनोंने कहा है चंद्रमाका ( वर्तमान ) नक्षत्र जौनसा हो वही आनंदादि योग जानलेना ॥ १०।। ३१ ।। १३२ ॥१३॥ इति सिद्धियोगः। आदित्यभौमयोर्नन्दा भद्रा शुक्रशशांकयोः ॥ जया सौम्ये गुरौ रिक्ता शनौ पूर्णा तु नो शुभा ॥१३४ ॥ रवि, मंगलवारको नंदासंज्ञकं तिथि होवें शुक्र व चंद्रवारको भद्रा तिथिं होवें बुधको जया और बृहस्पतिको रिक्ता शनिको पूर्णा तिथि होवें तो शुभ नहीं है अर्थात् अशुभ योग । जानना ।। १४ ।। नंदा तिथिः शुक्रवारे सौम्ये भद्रा जया कुजे ॥ रिक्ता मन्दे गुरोर्वारे पूर्ण सिद्धह्वया अमी ॥ १८ शुक्रवारको नंदातिथि बुधको भद्रा मंगलको जया शनिको रिक्ता बृहस्पतिवारको पूर्णा तिथि हो तो ये सिद्धियोग कहे हैं । १५ ।।

अथ दग्धयणः

एकादश्यामिंदुवारो द्वादश्यामार्किवासरः ॥ षष्ठी बृहस्पतेर्वारे तृतीया बुधवासरे ॥ १६॥ एकादशीविषे सोमवार हो द्वादशीको शनिवार हो बृहस्पतिवारमें छठ, बुधवारविषे तृतीया हो ॥ १६ ॥