पृष्ठम्:नीतिपाठम् (प्रियनाथविद्याभूषण).pdf/66

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}}ଶ नौतिपाठम्। कथयति, कार्फरराजस्य। यवनखर उवाच, कैनासों इत बौरव्रतो बूते, राजन। पराक्रमशलिना नरसिहर्देवैन DYSS DDDDDS DD SDBDDDSS DDBD उवाच, नरसिहदैव कुल ' बोरन्नतो व्रते, कार्फर-राजसविधान वर्त्तिभि खाभिबधामर्ति मङ्गोलसैनिकै {१) झैंहुभिरको हन्यमानो मया टट, का गत केदानीमस्ति वा तत्र ज्ञायते। ततो यवनराज परसैन्य हतनायक पलायमान दृश्ट्रा परमानन्दी (२) बभूव। पुरुषवि तदनुगामिन स्वसैनिकान प्रलाह, रै रै सैनिका । पलायमानान परभटान कि निहद्य ? सग्रति राज्यरक्षितार काफर राज कृतान्त नरभिन्हदेव में विज्ञापयत। तदनन्तरमेकन सग्राम-प्रदेश वह छुधिर (३) पुधित किशुकमिव वेदना-मृच्छुित नरप्तिहुदैव यवन राजो ददर्श तुरङ्गादवतीयै च वभार्थ, ई नरसिहदेव। जीविशसि १ नरसिहदेव उवाच, राज़ग 1 मया यत छत कि तद्रवगता भवतां ? यवनैश्वर सँवाच ज्ञात मा । कथित् वोग्व्रत देवेन, त्वया मम शत्रुर्हृत । नरसिघ्द्रेव उवाच, तर्हि जीविष्थामि । यत - SS DD BDBBBSYBDBB S DDDBuL DDD DDD SDDD DBDDB u DDD पाठानान मन्यतम संषा सेनिक खपक्षीयमांध । (३) परमी यानन्दी यस्य Hl.hl; du'|g|td (३) वहट्रधिर Bleeding