एतत् पृष्ठम् परिष्कृतम् अस्ति
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१४ | ३ | समन्तात् | सर्वासु दिक्षु |
" | ४ | प्रभुत्वे | स्वामिपदे |
" | ५ | छत्रच्छायायाम् | ममाधीनम् |
" | ५ | अर्धचन्द्रम् | गलहस्तम् |
१५ | ६ | पुलकिततनुः | प्रफुल्लशरीरः |
" | ७ | वाहिताः | छलिताः |
" | १ | कृत……..ग्रहः | यो नियमेनाग्निहोत्रं विदधाति, सः |
" | १ | पशुम् | गाम् ( हवनार्थं दुग्धाद् घृतनिष्पादनाय ) |
१६ | २ | हिम……..यते | शैत्यं नाश्यते |
" | ४ | वल्लभः | प्रियः |
" | ५ | स्तोकम् | किञ्चित् |
१७ | ५ | सचेलम् | सवस्त्रम् |
" | १ | निस्तब्धः | निश्चेष्टः |
१८ | ३ | समयः | प्रतिज्ञा |
" | ४ | प्रवर्तते……..च | क्रिया न प्रवर्तन्तेवाणीचापि न प्रवर्तते |
१९ | २ | पथ्यंकुरु | भोजनेन हितं सम्पादय |
२० | ४ | ज्येष्ठ……..ङ्गात् | ज्येष्ठभ्रातुःपलायनात् |
" | ५ | परुषतराणि | कठोराणि |
२१ | ७ | स्व……..भव | शृगालेष्वेव गत्वा निवस |
" | १ | दारिद्र्योपहतः | निर्धनतारूपेणदुःखेन दुःखितः |
" | १ | अधिष्ठाने | स्थाने |