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२८ | ४ | तात | सामान्यतो वयोवृद्धसम्बोधनम् |
" | ५ | नित्या……..ति | नित्यं तथैवाहारवृत्त्या जीवति |
" | ६ | स्नेहसम्भाषः | स्नेहालापः |
" | ६ | निर्विण्णः | खिन्नः |
३० | २ | गृहमेधिनाम् | गृहस्थानाम् |
" | ३ | अन्न……..नाञ्च | अन्नं गोधूमादि, पानंदुग्धादि, चोष्यमाम्रादि, लेह्यं चटनीत्यादि प्रसिद्धम् |
३१ | ४ | देवगुरुकुतः | ईश्वरगुरुकुतः |
" | ६ | कञ्चुकिनः | राज्ञामन्तःपुरसेवकाः |
३२ | २ | सार्थ……..द्भवः | स्वयूथाद् भ्रष्टतयोत्योत्पन्नः । |
" | २ | मरकतसदृशानि | हरितानि |
" | ३ | दन्तमुशलयोः | मुशलसदृशयोर्दन्तयोः |
३३ | ५ | पथ्याशीः | क्षुधाविष्टः ? |
" | ५ | पथ्यक्रिया | क्षुन्निवृत्तिः |
३४ | ७ | अन्त्यां दशाम् | मृत्युम् |
" | ८ | महती अवस्था | अतिदुर्दशा |
" | ८ | स्वामिनः प्रसादस्य | अद्य यावत् स्वामिना कृतायाः कृपायाः |
३६ | १३ | मायोपजीविनः | कपटिनः |
॥ इति ॥