४३० बीजगणिते-. लब्धि मिली और ३ | शेष रहे |८ + ६ +३ + ६ इनका योग २६ के समान है। और लब्धियों ८ | ६ का योग १४ कालक मान १४ के तुल्य है। यहां पर १ आदि इष्ट मानने से आप नहीं मिलेगा क्योंकि शेषों का योग प्रश्न में बह के समान कहा हुआ है । उदाहरणम्- कस्त्रिसप्तनवक्षरणो राशिस्त्रिंशद्विभाजितः । यदक्यमपि त्रिंशद्धृतमेकादशाग्रकम् ॥८५ || अपि गुणयोगो गुणः प्राग्वत् रू १६ राशि: या १ लब्धं कालकः १ एतद्गुणं हरं गुणगुणिताद्रा- शेरपास्य शेषम् या १६ का ३० एतदग्रैक्यं त्रिंशत्तष्टमेव ततः प्रथमालापे द्वितीयालापस्थान्तर्भूतत्वादिदमेवै- कादशसमं कृत्वा प्राग्वज्जातो राशिः नी ३० रु २६ । मनुष्टुभाह कइति । को राशिखिधा त्रिभिः सप्त- भिर्नवाभिः एगः त्रिंशता विभाजितः शेषत्रयाणामैक्यं त्रिंशता भक्रमेकादशाग्रं भवति तं राशिं वदेत्यर्थः । उदाहरण--- वह कौन राशि है जिसको अलग अलग तीन सात और नौ से गुणकर तीस का भाग देने से जो कुछ शेष रहते हैं उनके योग में तीस का भाग देनेसे ग्यारह शेष रहता है। कल्पना किया कि या १ राशि है, इसको गुणों ३ |७|६ के योग १६ से गुण देनेसे या १६ हुआ इसमें तीस का भाग देने से लब्धि कालक १. कल्पना की, तात्पर्य यह है कि राशि को तीन सात और नौ से गुणकर बाद तीसका भाग देने से
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