पृष्ठम्:बृहत्सामुद्रिकाशास्त्र.pdf/१८

एतत् पृष्ठम् अपरिष्कृतम् अस्ति

सामुद्रिकशास्त्रम् ।। भोपाटीकासहितम् । दन्तलक्षण । जिहालक्षण । द्वात्रिंशता नरपतिर्दशनैरेतैरेकविरहितैगी । शौचाचारविहीनाः सितजिह्वाः सततं भवन्ति नराः॥ यात्रिशता तनुधनाऽष्टाविंशत्या सुखी पुरुषः ॥७१॥ धनहीनाः शितिजिह्वाः पापोपगता शबलजिहाः ॥७॥ अर्थ बत्तास दतियाला पुरुष राजा होता है और जो इकती अर्थ-जिनकी जीभ सपद हो वे मनुष्य निरंतर शोधाचारसे होय तो यह मनुष्य भागी होता है तथा तीस दांत हो तो वह मन हीन होते हैं और जिनकी काली जीभ हो तो वे धनहीन होते हैं। ध्य थोडे धनाला होता है, जिसके अट्ठाईस दुति हा वह पुरुष । तथा जीनकी जीभ कचरी चित्र विचित्र रंगकी हो वे मनुष्य सुखी होता है ।। ७१ ॥ पापी होते हैं । ७५ ॥ दारिद्रयदुःखभाजनमेकोनविंशता सदा दशनैः ॥ । | रसना रक्ता दीर्घा सूक्ष्मा मृदुला तनुसमा येषाम् ॥ उर्वमधस्तैरपि विहीनसंख्येनेरो दुःखी ॥ ७२ ॥ मिष्टान्नभोजनस्ते यदि वा त्रैविद्यवक्तारः ॥ ७६॥ अर्थ-जिन मनुष्योंकी जीभ लाल रंग, बड़ी पतली, नरम और | अर्थ-जिसके उनतीस दृति हावें वह धनहीन और दुःखी। होता है और इससेभी कभती दांत जिसके हावं वह मनुष्य । बराबर हो वे मीठा भोजन करनेवाले होते हैं अथवा तीनों वेदांके वक्ता होते हैं ॥ ७६ ॥ दुःखी होता हैं ॥ ७२ ॥ तालुलक्षण ।। कुन्दमुकुलोपमा श्युर्यस्यारुणपीडिकाः समाः सुघनाः ।। रक्ताम्बुजतालुदरो भूमिपतिर्विक्रमी भवति मनुजः।। दशनाः स्निग्धाः ऋणातीक्ष्णा दंष्टाः सवितादयः ७३ । वित्ताढ्यः सिततालुर्गजतालुर्मडलाधीशः ॥ ७७॥ अर्थ-कुन्दकी कली के समान जिस पुरुपके दांत होवे अथवा अर्थ-जिसके तलुवेका बीच लाल कमलके समान होय वह पुरुष लाल फुसीक समान बहुत घने चिकने स्वच्छ और तेज दाढीवाले बलवान और प्रतापी राजा होता है और जिसका तलुवा सपेद् दांत होते तो वह पुरुष धनवान होता है । ७३ ॥ होय वह धनवान होता है, गजसमान जिसका तालु हो वह मंडलका स्यातां द्विजावधः प्राक द्वादशगे मासि राजदन्ताख्यौ ॥ स्वामी होता है ॥ ७७॥ शस्तावृध्वविशुभी जन्मन्येवोद्धतौ तद्वत् ॥ ७४ ॥ अरुणतालुर्गुणयुक्तस्तीक्ष्णाग्रा घंटिका शुभा स्थूला ॥ अर्थ जो नीचे के दांत एक वर्षके मध्य प्रगट हो तो ऐसे राज- लम्बा कृष्णा कठिना सूक्ष्मा चिपिटा नृणांन शुभा ७८ अर्थ-जिसका तालु लाल रंग हो वह गुणवान् होता है, जिसकी घांटी पैनी नोकदार हो तो शुभ होती है और मोटी, लम्बी, काली तथा कठोर और चपटी तालु होनेसे शुभ नहीं जानना ॥ ७८ ॥ दुन्त नामवाले शुभ फल देनेवाले जानने, तथा जो उपरके दांत एक वर्षके भीतर प्रगट होनें तो अशुभ जानना तथा जो एक साथ दोन आरके दांत निकले तोभी अशुभ जानने ।। ७४ ॥