पृष्ठम्:बृहत्सामुद्रिकाशास्त्र.pdf/२२

एतत् पृष्ठम् अपरिष्कृतम् अस्ति

सामुद्रिकशास्त्रम् । भाषाटीकासहितम् । ३१ कच्छपपृष्ठो राजा हयपृष्ठो भोगभाजनं भवति ॥ | जिसकी ग्रीवा बडी हो वह उत्तम काममें विन्न करनेवाला होता है धनसम्पत्तिसुसेनाधिपतिः शार्दूलपृष्ठोऽपि ॥ १०१।। अर्थात् बने कामको बिगाड़ देता है ।। १०४॥ अर्थ-जिसकी पीठ कछवेकी पीठके समान हो वह मनुष्य राज ललाटरेखा। होता है और जिसकी पीठ घोडकी पीठके समान हो वह भागी होत भालस्थलस्थितेन स्फुटेन रेखाचतुष्टयेन नृणाम् ॥ हैं तथा जिसकी पीठ शार्दूल ( व्याघ्र ) की पीठके समान हो वह वषण्यशीतिरायुर्वसुधेशत्वं पुनर्भवति ॥१०५॥ पुरुष धन और सम्पत्तिसे युक्त और सेनापति होता है ॥ १०१।। अर्थ-जिसके ललाटपर चार रेखायें प्रगट दीख पडे वह पुरुप ग्रीवालक्षण ।। अस्सी वर्षपर्यन्त जीता है और राजा होता है ॥ १०८॥ ह्रस्वग्रीवः शस्तो वृत्तग्रीवः सुखी धनी सुभगः॥ । भाले लेखाहीने पंचाधिकविंशतिसमाः ॥ कम्बुग्रीवस्तु भवेदकातपवारणी नृपतिः॥ १०२॥ आयुः स्याद् ध्रुवमाखला जायंते सम्पदः सपदि १०६ अर्थ-जिसकी ग्रीवा (घींच) छोटी हो वह श्रेष्ठ जानना और अर्थ-जिसका ललाट रेखाहीन हो उसकी आयु पचीस वर्षकी जिसकी ग्रीवा गोल हो वह सुखी, धनी व भोगी होता है तथ। होती है और शीघ्र उसको सम्पदा प्राप्त होती है ऐसा निश्चय जिसकी ग्रीवा कम्बु ( शंख ) के समान हो वह एकछत्रधारी राजा जानना ॥ १०६॥ होता है ॥ १०२॥ स्यादायुर्लेखाभिस्तिसृभिद्रभ्यामथैकया नियतम् ॥ रासभकरभग्रीवो दुःखी स्याद्दांभिक बकग्रीवः ॥ ॥ शरद सप्तति षष्टिं चत्वारिंशदपि क्रमशः ॥ १०७॥ शुष्कशिरालग्रीवश्चिपिग्रीवश्च धनहीनः॥ १०३।। | अर्थ-जिसके ललाटपर तीन रेखायें हों उसकी आयु सत्तर अर्थ-जिसकी ग्रीवा गर्दभ और ऊंटकी ग्रीवाके समान हो वह वर्षकी होती है, जिसके ललाटपर दो रेखायें हों वह साठ वर्षतक मनुष्य दुःखी होता है और जिसकी ग्रीवा बगुलेकी ग्रीवा के समान जीता है और जिसके मस्तक पर एक रेखा हो वह चालीस हो वह दंभी ( पाखंडी) होता है तथा जिसकी ग्रीवा सूखी, नसीली वर्षपर्यन्त जीवन धारण करता है इस प्रकार कमसे आयुका और चपटी हो वह मनुष्य धनहीन होता है ॥ १०३॥ निश्चय होता है ॥ १०७॥ महिषग्रीवः शूरो लम्वग्रीवोऽपि घस्मरः सततम् ॥ यदि वा तिर्यग्दीर्घास्तिस्रो रेखाः शतायुष भाले ॥ पिशुनो वक्रग्रीवः शस्तविनाशो महाग्रीवः स्यात् ॥ भूमिजुषां तु चतस्रः पुनरायुः पंचहीनशतम् ॥१०८॥ अर्थ-जिसकी ग्रीवा महिप (भैंसे ) की ग्रीवाके समान हो वह अर्थ-यदि वा जिसके ललाटपर तिरछी और बडी तिन रेखायें योद्धा होता है और जिसकी ग्रीवा लम्बी हो वह बहुत खानेवाल होती हैं उसकी आयु सौ वर्षकी जानना, यदि चार रेखाये हों तो पचानवें वर्षकी आयु जानना ॥ १०८॥ होता है तथा जिसकी ग्रीवा टेढी हो वह चुगलखोर होता है |