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सामुद्रिक शास्त्रम् । हस्तांगुलिलक्षण । लक्ष्णा वृत्ता मृदवी घनादलानीव पद्मस्य । । ऋजवोऽङ्कलयः स्निग्धाः सैमसंख्यान्वितं दधति १३।। अर्थ-जिसके हाथ की अंगुली सुन्दर, गोल, कोमल, घनी, कम- लदलाकार, सीधी और चिकनी हाँय तो वह हाथियों की संख्याको । धारण करता है अर्थात् अनेक हाथी उसके यहां होवें ॥ १३१॥ | पुनरंगुष्ठांगुलिलक्षण ।। ऋजुरंगुष्ठः स्निग्धस्तुंगो वृत्तः प्रदक्षिणावर्तः ॥ अंगुष्ठोपि धनवतां सुघनानि समानि पर्वाणि ॥१३२॥ । अर्थ-जिसका अंगूठा सीधा, चिकना, ऊंचा, गोल और दा हिनी ओरको घूमा हुआ, कठोर, वरावर पोवेवाला हो तो उसको धनवान् जानना ॥ १३२ ॥ सततं भवन्ति वलिताः सौभाग्यवती सुमेधसां सूक्ष्माः॥ । पाण्यंगुळ्यः सरला दीर्घा दीर्घायुषां पुंसाम् ॥ १३३॥ अर्थ-जिनके हाथकी अंगुली निरन्तर मिली हुई होती हैं वे मनुष्य भाग्यवान और उत्तम बुद्धिवाले होते हैं और जिनके हाथकी अंगुली सीधी और बडी होती हैं वे मनुष्य अधिक | आयुवाले होते हैं ॥ १३३ ॥ नियतं कनिष्ठिकांगुलिरनामिकापर्व उल्लंघ्य ।। यद्यांधकतरा पुंसां धनमधिकं जायते प्रायः॥ १३४॥ अर्थ-जिस पुरुषके हाथकी छोटी अंगुली अपने समीपकी भाषाटीकासहितम् । दीर्घायुरंगुलीभिः सौभाग्ययुतः सुदीर्घपवभिः ।। विरलाभः कुटिलाभिः शुष्काभिर्भवति धनहीन्ः ३३५ अर्थ-जिस पुरुपकी अंगुली लुम्बी होय तो वह दीर्घायु ( बडी उमरवाला) होता है और जिसकी अंगुलियोंके पोरुचे पडे होवें वह भाग्यवान होता है । तथा जिसकी अंगुली विरली, टेढी आर सुखी हों वह धनहीन होता है ॥ १३५॥ कटिलक्षण । यस्य कटिः स्याही पीना पृथुला भवेत्स वित्ताढयः ।। सिंहकटिर्मनुजेन्द्रः शार्दूलकटिश्च भूनाथः ॥ १३६॥ अर्थ-जिस मनुष्यकी कटि ( कमर ) लंबी, मोटी और चौडी हो वह धनवान होता है और जिसकी कटि सिंहकी कटिके समान हो वह । मनुष्योंमें इन्द्रसमान (राजा) होता है । तथा जिसकी कटि व्याघकी । कटिके समान हो वह पुरुष पृथ्वीका स्वामी होता है ॥ १३६ ॥ रोमशकटिदरिद्रो ह्रस्वकटिदुर्भगो भवति मनुजः ॥ शुनमर्कटकरभकटिदुःखी संकटकटिः पापः ॥१३७॥ अर्थ-जिसकी कटि रोमसहित हो वह मनुष्य दरिद्री होता है। और जिसकी कटि छोटी हो वह पुरुष अभागा होता है, तथा जि- सकी कटि कुत्ता, वानर और ऊंटकी कटिके समान हो वह मनुष्य दुःखी रहता है, जिसकी कटि (कमर ) सिकुडी है। वह पाप करने वाला होता है ॥ १३७ ॥ गुद् व अंडकोशका लक्षण । यतमसो गम्भीरः सुकुमारः संवृतः शोणः ॥ पायुः शुभो नराणां पुनरशुभो भवति विपरीतः॥१३८ थै-मनुष्योंकी गुदा मांस भरी, गहिरी, कोमल, गोल और लाल लाल हो वह शुभ फलकी देनेवाली जानना और जो इससे ला होता है"शुद्वारः गुली ( अनामिका) के पोरुवेको उलंघन कर जाय अथत बड़ा है। तो प्रायः उसके धन अधिक होता है ॥ १३४ ।।