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सामुद्रिकशास्त्रम् । हस्तरेखालक्षण। गभीरा रक्ताभा भवति मृदुला वास्फुटतरा। करे वामे रेखा जनयति मृगाक्ष्या बहुशुभम् ॥ यदा वृत्ताकारा पतिरति सुखं विन्दति पर। विसारं सौभाग्यं बलमपि सुतं स्वस्तिकमपि ॥४८॥ अर्थ-जिस स्त्रीके हाथमें गहिरी, लाल रंग, कोमल और देख- नेमें साफ रेखा होवे तो उस मृगनयनी स्त्रीको बहुत शुभ फल देती है तथा जो वृत्ताकार अर्थात् गोल आकारवाली रेखा हो तो वह स्त्री अपने पतिसे बहुत सुख पाती है और सौभाग्यवती रहती है, बल- करके सहित होती है और कल्याणपदकोभी प्राप्त होती है ॥४८॥ करतले यदि पद्ममिलापतेः प्रियतमा परमा गरि- मावृता ॥ नृपमपत्यमले जनयेदरं बलवतामपि मानविमर्दकम् ॥४९॥ अर्थ-जिस स्त्रीकी हथेलीमें कमलका चिह्न होता है वह स्त्री राजाकी बहुत प्यारी राजपत्नी (रानी) होती है और वह ( रानी) बलवान् पुरुषोंके मानको मर्दन करनेवाले ऐसा राजकुमार उत्पन्न करती है ॥ १९ ॥ यदा प्रदक्षिणाकारो नन्द्यावर्तः प्रजायते ॥ चक्रवर्तिनृपस्त्री सा यस्याः पाणितलेऽमले ॥५०॥ अर्थ-जिस स्त्रीकी निर्मल हथेलीमें दाहिनी ओरको घूमा हुआ चिह्न प्रगट दीख पडे तो वह स्त्री चक्रवर्ती राजा ( महाराजा) का स्त्री अर्थात् महारानी होती है ॥ ५० ॥ आतपत्रं च कमठः शंखाऽपि यदि वा भवेत् ॥ नृपमाता गुणोपेता भव्याकारा पतिव्रता ॥५१॥ जापाटीकासहितम् । है । अर्थ-जिस स्त्रीकी हथेली में छत्र, कछुवा अथवा शंखका चिह्न शट दीख पड़े तो वह स्रा राजाकी माता अर्थात् राजपुत्र उत्पन्न करनेवाली, गुणवत्ता, सुन्दर रूपवाला आर पतिव्रता होती है।॥३१॥ यस्या वामकर रेखा तुलामालोपमाभवेत् ॥ वैश्यवामा रमापूणों नानालङ्कारमाण्डिता॥५२॥ अर्थ-जिस स्त्रीक वाये हाथमें तराजू और मालाके आकार रेखा प्रगट दीख पडे तो वृद्द वैश्य ( साहूकार वा व्यापारी ) की स्वी होकर लक्ष्मीसे परिपूर्ण और नाना प्रकारके अलंकारों (आभूषणों) से शोभावाली होती है ॥ २२ ॥ करतले गजवाजिवृषाकृतिः कृतिविदामबला किल कोविदा ॥ भवति सोधसमा यदि सुभ्रवः शशिनिभाऽतिशुभाकिल रेखिका ॥५३॥ अर्थ-जिस स्त्रीकी हथेलीमें हाथी, घोडा, बैल इनके आकार रेखा हो तो वह स्त्री किये हुए कामको जाननेवाली और पंडिता होती है तथा यदि उत्तम धुकुटीवाली स्त्रीके हाथमें राजमहल अथवा चन्द्रमाके आकार रेखा प्रगट दीख पडे तो एसी रखा शुभ- फलको देनेवाली होती है ॥ ५३॥ भवति सा विमलांकुशचामरा मलशरासनवद्यदि खिका ॥ गुणविभूषितभूपतिवल्लभा करतले शकटेन विशोऽवला ॥५४॥ । अर्थ-जिस स्त्रीकी हथेलीमें निर्मल अंकुश, चमर और सीधे चाणके समान आकार रेखा हो तो वह स्त्री उत्तम गुणसे शोभा वाली राजवल्लभा अर्थात् राजाकी प्यारी (रानी) होने और यदि चाकी हथेलीमें शकट (गाडी) के आकार रेखा हो तो वह स्वी वैश्य ( व्यापारी) की स्त्री होती है ॥ ५४॥ त प्यारी थलामें केस वला