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विषयानुक्रमणिका ।। पृष्ठांक. .... ९३

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विषय. | पृष्ठांक, | विषय, पाटण .... .... ९१ | तरुण स्त्री की प्रशंसा पुरुषलक्षण ।। चकविचार ••••••• | सविचार ।। १५।। देवपुरुषक्षण । गन्धर्वमनुष्यलक्षण शीपविचार । । यक्षपुरुपक्षण । कररेखा है। राक्षसमनुष्यरूक्षण नखविचार पिशाधमनुष्यलक्षण । भुजालक्षण। पाच प्रकारकी स्त्रिया : ....९३ | हस्तविचार इत्यनुक्रमणिका समाप्त । ॥ श्रीः । अथ भाषाटीकासहितं सामुद्रिकशास्त्रम्। --20*5ONa>- मंगलाचरणम् । श्रीगणेशं नमस्कृत्य गुरुं च गिरिजापतिम् ॥ नारायणेन रचिता व्याख्या सामुद्रिकस्य हि ॥ १॥ अर्थ-श्रीगणेशजीको और गुरुदेव तथा गिरिजापति ( महा- देवजी) को नमस्कार करके नारायणप्रसादमिश्रने सामुद्रिकग्रन्थकी व्याख्या ( भापाटीका ) रचना करी ॥१॥ अथातः सम्प्रवक्ष्यामि हस्तरेखाविचारणम् ॥ दक्षिणे पुरुषं ज्ञेयं वामे वामाकरं शुभम् ॥२॥ अर्थ-अब आगे हम हस्तरेखाका विचार वर्णन करेंगे सो सुनो। दाहिने हाथमें पुरुषके लक्षण देखना और वायें हाथको देखकर स्त्रीके लक्षण कहना, हाथकी रेखाओंसे सम्पूर्ण शुभाशुभ फल । कथन करना ॥२॥ शिवोक्तं तंत्रसामुद्रं कररेखाशुभाशुभम् ॥ यस्य विज्ञानमात्रेण पुरुषों नहि शोचति ॥३॥ अर्थ-श्रीशिव ( महादेवजी ) के कहे हुए सामुद्रिकशास्त्रमें हाथकी रेखासे शुभाशुभकी व्यस्था लिखी है, जिस शुभाशुभ अर्थात् सुखदुःखके भली भांति जाननेमासे मनुष्य शोकको प्राप्त नहीं होता अर्थात् सुखी रहता है ॥ ३॥