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सामुद्रिकशास्त्रम् । अर्थ-जिसके हथेली वा चरणके तलवेपर कलश, खंभ, घोडा, वृक्ष, लाठी ये चिह्न हों वह अखंड लक्ष्मीसे युक्त होवे अथवा पंडित वा शाण्डिक ( मदिरा बेचनेवाला) होवे ॥ ११ ॥ उत्तमराजचिह्न । विशालभालोऽम्बुजपत्रनेत्रः सुवृत्तमौलिः क्षिति- मण्डलेशः ॥ आजानुबाहुः पुरुषं तमाहुः क्षोणी- भृतां मुख्यतरं महान्तः ॥ १२ ॥ अर्थ-जिसका माथा बड़ा हो और कमलपत्रके समान नेत्र हों तथा सुन्दर गोल शिर हो तो वह मनुष्य भूमंडलका स्वामी होवे और खड़े होनेपर जिसका हाथ घुटनोंतक होवे वह राजश्रेष्ठ और महाराजा होवे ॥ १२ ॥ नाभिर्गभीरा सरला च नासा वक्षःस्थलं रत्नशि- लातलाभम् ॥ आरक्तवण खलु यस्य पादौ मृदू । भवेतां स नृपोत्तमः स्यात् ॥ १३ ॥ अर्थ-जिसकी नाभि गहिरी हो और नाक सीधी, छाती रत्न- शिलाके समान निर्मल और चरण लाल रंगके कोमल होवें तो वह श्रेष्ठ राजा होता है ॥ १३ ॥ | करे वा पादतले चिह्न । राजते करगो यस्य तिलोऽतुलधनप्रदः ॥ तथा पादतले पुंसां वाहनार्थसुखप्रदः ॥ १४ ॥ अर्थ-जिसके इथेलीमें तिलका चिह्न हो तो वह उसको अतुल धन प्रदान करे है, एवं चरणतलगें तिल तो सवारी व धनका सुख देवे है ॥ १४ ॥ भाषादीकासहितम् ।। राजवंशप्रजातानां समस्तफलमीदृशम् ॥ अन्येषामल्पतां याति तथा व्यक्तं सुलक्षणम् ॥१५॥ अर्थ-राजाके वंशमें उत्पन्न मनुष्यों को ये सब पूर्वोक्त चिह्न पूर्णरूपसे राज्यसुखको देते हैं, अन्य मनुष्यको थोडाही घर व प्रतिष्ठा आदि फल देते हैं ॥ १५ ॥ मत्स्यरेखाफल ।। यस्य हस्ते मत्स्यरेखा कर्मसिद्धिश्च जायते ॥ धनाढयस्तु स विज्ञेयो बहुपुत्रो न संशयः ॥ १६ ॥ । अर्थ-जिसके हथलीमें मत्स्य ( मछली ) की रखा हावे तो वह मनुष्य कर्मसिद्धिवाला होवे अर्थात् वह मनुष्य जो जो व्यापारादि कर्म करे वह वह सिद्ध होवे उसमें धनधान्यादि की प्राप्ति होवे तथा वह मनुष्य धनवान् बहुपुत्रवान होवे इसमें सन्देह नहीं करना ॥१६॥ । तुलादिचिह्न ।। तुला ग्रामं तथा वनं करमध्ये च दृश्यते ॥ तस्य वाणिज्यसिद्धिः स्यात्पुरुषस्य न संशयः॥१७॥ अर्थ-जिसके हाथके बीच तुला( तराजू ), गांव अर्थात् नगरके समान चौकोन रेखाके बीच चित्र विचित्र चिह्न प्रतीत होवे तथा वत्रका चिह्न दीख पडे तो उस पुरुषको निःसन्देह वाशिन्य ( व्यापार ) की सिद्धि होती है अर्थात् वह व्यापार द्वारा धनवान होवे ॥ १७ ॥ पद्मादिचिह्न । पद्मचापादिखङ्गं च अष्टकोणादि दृश्यते ॥ स्त्रियश्च पुरुषस्यापि धनवान्स सुखी नरः ॥ १८ ॥ अर्थ-जिसके हाथमें कमल, धनुष, तलवार, अठकोन आदि