एतत् पृष्ठम् परिष्कृतम् अस्ति
शिवशङ्कराष्टकम् ४१९
मयभिषगानतमवतात् शिवशङ्कर शिवशङ्कर हर मे
हर दुरितम् ॥ ८
त्रिपुरान्तक त्रिदशेश्वरगणनायक शिव ते शरणं
भव कृतसागरफणिकङ्कणचरणम् । वृषवाहन विष-
दूषण पतितोद्धर शरणं शिवशङ्कर शिवशङ्कर हर
मे हर दुरितम् ॥ ९
शशिशेखर शिवदायक हरिशायक गिरिजाप्रिय-
नायक गजकन्धर गजदानवहरण । कनकासनकन-
काम्बरविनाशन शरणं शिवशङ्कर शिवशङ्कर हर मे
हर दुरितम् ॥ १०
विजितेन्द्रिय विबुधार्चित विमलाम्बुजचरण भव-
नाशन भयनाशन भजिताङ्कितहृदय । फणिभूषण
मुनिपोषण मदनान्तक शरणं शिवशङ्कर शिवशङ्कर
हर मे हर दुरितम् ॥ ११
॥ इति श्री शिवशङ्कराष्टकम् ॥