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बृहत्स्तोत्ररत्नाकरे - प्रथमभाग:

जयाशाविषवल्लीनां मूलमालानिकृन्तन ।
जयाघतृणकूटाना ममन्द ज्वलितानल ॥ १५
जय मायामदेभश्री विदारण मृगोत्तम ।
जय भक्तजनस्वान्त चन्द्रकान्तैकचन्द्रमाः॥ १६
जय सन्त्यक्तसर्वाश मुनिकोक दिवाकर ।
जयाचलसुताचारु मुखचन्द्र चकोरक ॥ १७
जयाद्रि कन्यकोत्तुङ्ग कुचाचल विहङ्गम ।
जय हैमवती मञ्जु मुखपङ्कज बम्भर ॥ १८
जय कात्यायनी स्निग्ध चित्तोत्पल सुधाकर ।
जयाखिल हृदाकाश लसद्युमणि मण्डल ॥ १९
जयासङ्ग सुखोत्तुङ्ग सौधक्रीडन भूमिप ।
जयसंवित्सभासीम नटनोत्सुक नर्तक ॥ २०
जयानवधि बोधाब्धि केळिकौतुक भूपते ।
जय निर्मलचिद्योन्नि चारुद्योतित नीरद ॥ २१
जयानन्द सदुद्यान लीलालोलुप कोकिल ।
जयागम शिरोरण्य विहार वरकुञ्जर ॥ २२