नियोगानुप्रवेशोऽस्ति, पू निरपेक्ष प्रमाणांशे, उ निरपेक्षमदर्थे तु, पू त्थम्, पू नंदप्रथमता लभ्या, पू नैकज्ञानं समीक्ष्यैकम् , उ नैकव आगमस्तेन, उ नैकान्तः सर्वभावानाम्, पू नैतन्न हि प्रवर्तेत, उ नैरपेक्ष्यं यदि न तत, पू नोट्रेकहेतवो दोषाःपू पदं खधर्मे व्युत्क्रामेत्, पू पदानां रचना तत्र, उ पदार्थान्तरतुल्यत्वात् , पू पदायोन्तरवत्तत्र, पू पदार्थान्तरवत्तेन, पू पदार्था विध्यधीनात्म, पू त्वम , प परप्रवत्त्यभावेऽपि, उ परस्परव्यपेक्षत्वम् , प् परस्यापि हि तत्रैव, पू परेण शब्दावगते, पश्चाद्विविधान् प्रत्येति, उ पित्रादिविषयेऽपेक्षा, उ पिंपासतश्च सलिलम्, उ पुरुषार्यः खयं ब्रश, पू |
पुट काण्ड. कारिका. 4 = } 70 26 (= } B9 69 25 187 8 115 86 B4 145 8 153 10B 8 78 1584 11 101 71 111 8 89 104 80. 104 8B 101 ४ 71 79 12 81 18 146 159 104 8 79 142 3 145 50 1898 128 158 10 28 11B 95 95 56 95 54 AS 82 8 21 104 8 82 |
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बक्षप्तिडकारकानुक्रमणिका