स्पष्टाधिकारः १६१ (न==६)-फxज्या (नदीय)=( चंफ-.) xश्यन+&य) इसलिये गर्छ चंफ,-रफ, = ज्या (न==६य) =पर=प, तब अनुपात करते हैं यदि दश अंश को ज्या=२१ पाते हैं तो '६ य' एतत्तुल्य अंश को क्या आ गयी ‘ईय’ इसकी ल्या, ज्या ६यः =३१४६य, इसी तरह ' =ज्या ३यः =X/त्रिऽउज्या ६०४उज्या इसके २१४३ः य =Wय विलोम से २१४३°xय =उज्या ६य ; पापयोरिष्टयोरित्यादि से ज्या (न=+&य) १०^x ६० ज्यानxकोज्या ६य , कोज्यान¥ज्या ६य. -यान ज्यांनx उज्या ६य नि" कोज्यान ज्या ६य -यान-ज्यान ४२११३२४य' कोज्यान ४२१६ १०३४६०x१२० १०x१२० ज्यानx य२ कोज्यानxय ज्यान ४य कोज्यान य =+='"C=ज्यान--- --- = ज्यान-२००९२ २०० २ हा २१ ज्या (न+य)=पर== ज्यान ज्यानxय कोज्यान दोनों पक्षों को हा गुणने से - प , २ हा पx हा= श्रव=थुः = ज्यानxहा-ज्यान ४य, +कोज्यान दोनों पक्षों में समशोधन २ हा '~ करने से तथा ज्यान से भाग देने से शुरूकोज्यान–य छेदगम २ हा–य = हा_से २ हा ==अxहो ऽय४२ । यहां =अन्य==प्र सुमशोषनकरने से य*-+२४ धूमकोज्यान, हा य८२ हा' वगं पूतिकरने से य==गहा¥यएह=२ हा+भxहा'
हा' ( म+२ ) सूक लेने से य=पहा= हा । V+२ : य
(/प्र'+२ ) इससे म. म. सुधाकर द्विवेदी जी के सूत्र उपपन्न होते हैं जो कि संस्कृतोपपत्ति में लिखे हुये हैं । उदयान्तर भुषान्तरादि संस्झार से जो स्पष्टग्रह होते हैं वे वस्तुत: स्पष्टग्रह नहीं होते हैं यह विषय अह्रसुप्त के नतकमें कहने से तथा नतकर्म चषन