पृष्ठम्:ब्राह्मस्फुटसिद्धान्तः भागः २.djvu/३८३

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३६६ ब्राह्मस्फुटसद्धान्ते च किमिति । जातषालनकलाश्चन्द्रस्य=-६० तिथिगक रंगकला = रविचन्द्रगत्यन्त रक ६० तिथिगकxचंगकला ६०xfतथिगम्यक ८ चंद्रकला एवं गम्यचन्द्रचालनकला:= रविचन्द्रगत्यन्तरक रईवचन्द्रगत्यन्तरक ६० - = तिथिगम्यकxचंगक एवमेव रवेर्गत चालन कलाः= ६०४तिथिगतक रविचन्द्रगत्यन्तरक' एवभ९ १० १: रविचन्द्रगत्यन्तरक रविगक _तिथिगतक ¥रविगक ६० रविचन्द्रगत्यन्तरक रवेर्गम्यचालनकला : = ६°xतिथिशस्यकर्हरविलक _तिथिगम्यकx-विगक = रविचन्द्रगत्यन्सरक + ६० रविचन्द्रगत्यन्तर एतेनाऽऽचार्योक्तमुपन्नमिति ।। प्रब ताकालिकीकरण को कहते हैं। हि. भा.-तिथिगत कला को और तिथिगम्यकला को चन्द्रगति और रविगति से पृथक् गुणाकर रवि और चन्द्र के गत्यन्तर से भाग देने से जो फल हो गतचालन में उन फलों को चन्द्र और रवि में होन करना और गम्यचालन में युत करना तब तिप्यन्त में तात्कालिक चन्द्र गौर रवि समलिप्तिक (समान कलात्मक) होते हैं, इस तरह प्रपनी गति से पात (चन्द्रपात) भी तात्कालिक होता है इति ।। उपपति यदि रवि और चन्द्र की गत्यन्तर कला में घटी पाते हैं तो तिथिगतकसा । साठ भौर तिथिगम्यकला में क्या इस अनुपात से तियिगतघटी और तिथिगम्यषटी आती ३ ६० ‘तिथिगतक शितध. =तिथिगम्यघटी पुनः अनुपात १. ६०xfतथिगम्यक रविचन्द्र गत्यन्तरक रव चन्द्रगत्यन्तरक -हा करते हैं, यदि साठ घटी में अपनी-प्रपनी गतिऋसा पाते हैं तो तिथिगत घटी में और तिथि ६०४ गम्य षटी में क्या इस अनुपात से चन्द्र की ग़लचाल कला = तिथिगतक रविचन्द्रगत्यन्तरक चंग_तिथिगतक xचंगक

  • ६47रविचन्द्रगत्यन्तरक

६०४निधियम्यक’चंगक_तिथिषम्यक xचंगको ६ यद्रणस्थ बहन काळ इसी तरह रविनन्द्रगत्यन्तरकॐ६विचन्द्रगत्यन्तरक