पृष्ठम्:ब्राह्मस्फुटसिद्धान्तः भागः २.djvu/५५७

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५४० ब्राह्मस्फुटसिद्धान्त कच* ज्या- अशक त्रिभुज जाप है इसलिये क शीर्षकोण स्पर्शरै = ^ कच• ज्यग• ज्याघ ज्य।' - ज्या ज्या इष्टस्थान इष्टकर्ता से कोणज्याद्वय को भाग से उसके तथा में देने सु–य, पु' +य इन कणों से इष्टस्थानीय पूर्णवर्ग =ज्यार्षे इक. ज्या(*-+य) ज्या (*-–प ), यहां ज्या (३, ज्याग. ज्याघ• २ +य) ज्या ( २–य )E ज्या ( ज्या = ~' ज्ययइक कोण २–ज्याथ इसलिये इष्टस्थानीय पूर्णज्यार्षे वर्ग ==. ' ज्याग ज्यघ इंक (ज्या * ज्याय) ज्या-ज्याथ स्परख – ' = २- _=इष्टस्थानीय घ्याग ज्यघ” इक' जयग' ज्याघ कोप तया कोणाचें कारिण रेखा स्थानीय कोखस्पर्शरे'=. ज्या ज्याघर इसकी अपेक्षा ” अन्य स्पर्शरेखाओं के वर्गमान न्यून ही होते है, स्पी रेखखण्डों से चाप करने से सब कोण के चाप की अपेक्षा कोणाचंकारिण रेखा स्थानीय -- कोणस्पर्श रेखानित चाप ही अधिक होबा हैखर्वाधिक स्पगंरेखवर्णाः । यह पाये हुए ==- स्पर्शरेखा वर्ग से न्यून होता है या मधेक इसके लिये विचार करते हैं । पूर्वोक्त स्पर्शरेखाढ्य के विषमीकरण करने से - -२->< -, कगच त्रिभुज में २८०-(ग+घ) =प्र ब्याग. ज्याघ कोज्या '

४८ (गघ = }

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