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१२३१ ब्राम्हास्फुटसिद्धान्ते
उपपति।
५५ सुत्र कि उपपति में रवि भगरगांश == चभा रविभ == र, उसी विधि से यं शशेष == र , य -- द्र्ककु , क = न, तव प्रश्नोक्ति से ७०दृककु - यंशश/१०००० ७० दृककु - रा। य+दृककु, क/१०००० = ७०दृककु - न/१०००० यह निशोष हौ तब
कुट्टक से रऋरग भाज्य विधि से न मान ग्नान सुगम ही हौ इति ॥५६॥
भनेकवरर्गसमीकररगबीज समाप्त हुश्ऱा।
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