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INDEX OF VबRSES ॥ 35] ३० ८४ स तामविभ्रमत्। १५. ५३ । समनासीत् ततः १५. १११ |ऽथ ६. ६४ समपत्स्यत राजेन्द्र २१. ७ सर्वं समदुधुक्षच्च १५३४ स महाफणि० १३. २८ स त्वं हनिष्यन् ९. ४९ समधत्तासुरम् १७. ८६ सत्यमेजय० समाविष्टम ६. ९५ सवनजस्रम् ६. ४५ समाश्वसिमि केनाहम् १८. १ सदोद्गा र० ७. ३८ समिद्धशरणा सद्रत्नमुक्ताफल० १. ७ समीरयांचकाराथ १४. १११ संत्रस्तानामपाहारि १५. ६४ । समीहे मर्तुम् १४६३ संत्रासयां चकार ५. १०४ समुपचितजल० १०. ५४ संदिदर्शयिषुः ५. ६४ समुत्क्षिप्य ततः २१. १ संदशतस्नेह० १२. ३१ समुत्तरन् तावव्यधित ६. ६० संदृश्य शरणम् समुत्पेतुः कश १४. १ संदुधु तयोः १४. १०९ समुद्रोपत्यका ५. ८९ संधनकारणम्। १५. १८ समुपेत्य ततः २०. १ संधानमेवास्तु ११. ५४ समूलकाषं चकष ३. ४९ संधुक्षितं मण्डल० १२. ४१ संपत्य तत्सनीडे ५. ३१ संधौ स्थितो वा १२. ३ संपस्पर्शाऽथ १४. ६९ सनत्स्याम्यथव १६. २९ संपातिना प्रजयः १४. ३१ सपक्षोऽद्रिरिव० १५. २४ संप्राप्य तीरं ३. ३९ स पुण्यकीतिः १. ५ संप्राप्य वानरान् ७. ८५ सप्तषष्टि प्लवङ्गानाम् १५. ९८ संप्राप्य राक्षससर्भ स प्रोषिवानेत्य ३. २७ संवभूवुः कबन्धानि १४२७ स बिभेष प्रचुक्षोद १४८७ संमृष्टसिक्ता० ११. ३५ सभयं परिहरमाणो १३. ५ सरसबहुपल्लव० १३. ३३ स भवान् भ्रातृ० १९. २१ सरसां सरसाम् १०. ४ स भस्मसाच्चकार १४. ८५ स राघव: कि बत १२१९ समश्नरनुदन्वन्त: १७. १०८ स राजसूय ६. ५८ समक्ष्णुवत शस्त्राणि १७. ५५ सर्व ऋषयशःशाखं ६. १०४ समगतकपिसैन्यम् १५. १२३ । सर्वतः तदवभयम १७७२ समगध्वं पुरः शत्रोः ७. १०१ सर्वत्र दयिताधीनं ६. ७६ समतां शशि ० १०. ४० सर्वनारीगुणैः ९. ८४