पृष्ठम्:मेदिनीकोशः.djvu/३४

एतत् पृष्ठम् अपरिष्कृतम् अस्ति

१९ मेदिनी १५ दूषिका सिकायाम्य असे अनिका साधुमार्थांना धन्यायि साधुधनिय खानुकाकरिष्यां घेनापवियुनिवि नुक कर ली धेनुनामवि संचा। नका कैसके] पोटगत चारो मेटे १०॥ येत [[नकीलामिकाबाच] [करे अधिकाऽपिकुमाळ या नरका पुसि निरवदेवारातिप्रभेदाः । नन्दको परिसई नालीका शरशयनपुंसकम् १०८ नायको नेगरि ये चारमध्यमणामपि ॥१२॥ निको मोचन जोखि] समाचे सर्पको नीलिका नोलिनीचुरोग-सेफालिका १११ पराक भने सहमे प्रसे सेचने प्रतीकेऽमयमेऽपि स्थान प्रतिकतामयोः ४९१२ पद्म थात् पद्मकाविन्दुजास कवोरपि । पचप्रमान पादार पार्श्वमा सकास पताका जयन्या सभाम्याटका ११५ ॥ पाक पतवाला प्रदान १९४७