पृष्ठम्:मेदिनीकोशः.djvu/३५

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कचिदम जात टोकटकातरवायोः । दिपावन मून न्याय ११ मेयः प्राशियति । सदाचार भाविकः पीतशासके। मीि चिकि २१८ ११७ पिनाकी पिटक लिए विटमा पुनः मा पाद कमर विष पिका मा परिमारी गजासपिण्डे १९१४ पे भक्तशिक्षा के पुष्पर्करोग विमा या पुचिका पुतलिका नामे पूर्ण १९२४ १२४