पृष्ठम्:मेदिनीकोशः.djvu/६१

एतत् पृष्ठम् अपरिष्कृतम् अस्ति

(8) जोनाजन्य जानमाचे शनाईने । रिसमायोजयमे जिप्रक लगमने सामान्यगमने लियाम्। जुराकाशे] सरत्या पिशाच्या अपने सियाम् ॥२॥ अधिकम तरी मिकिरण रिमालुसर पर नृपे (मा) मिले की पद्म अवाज की समभूमी संग्रामे ऊर्जस्त कार्त्तिकोमा प्राण परिषद्म कुजा कात्यायनीदेव्यां कुशो नरकमोमः ॥५॥ वृक्षः वृषप्रमे नान्दा वाचकः यांनी दमोविदन्तिनास छन्द प्राप खजामन्ये खरीपाद कण्डा गजोमाने मजे वास्तुनः खानभेदेऽपि ग पुसिरीदायाँ भाडामा लिया। काळचिच्यायप