पृष्ठम्:वायुपुराणम्.djvu/२७४

एतत् पृष्ठम् अपरिष्कृतम् अस्ति

त्रयस्त्रिंशोऽध्यायः २५५ ॥२६ उद्भिदं प्रथमं वर्ष द्वितीयं वेणुमण्डलम् । तृतीयं स्वैरथाकारं चतुर्थं लवणं स्मृतम् ।।२५ पञ्चमं धृतिमद्वर्ष षष्ठं वर्ष प्रभाकरम् । सप्तमं कपिलं नाम कपिलस्य प्रकीतितम् तेषां द्वीपाः कुशद्वीपे तत्सनामान एव तु । आश्रमाचारयुक्ताभिः प्रजाभिः समलंकृताः ।।२७ शाल्मस्येश्वराः सप्त पुत्रास्ते सु वपुष्मतः । श्वेतश्च हरितश्चैव जीमूतो रोहितस्तथा । वैद्युतो मानसश्चैव सुप्रभः सप्तमस्तथा २८ श्वेतस्य श्वेतदेशस्तु रोहितस्य च रोहितः । जीमूतस्य च जीमूतो हरितस्य च हारितः ।।२६ वैद्युतो वैद्युतस्यापि मानसस्यापि मनसः । सुप्रभः सुप्रभस्यापि सप्तैते देशपालकाः ।।३० सप्तद्वीपे तु वक्ष्यामि जम्बुद्वीपादनन्तरम् । सप्त मेधातिथेः पुत्राः प्लक्षद्वीपेश्वरा नृपाः ३१ ज्येष्ठः शान्तभयस्तेषां सप्तवर्षाणि तानि वै। तस्माच्छान्तभयाच्चैव शिशिरस्तु सुखोदयः । आनन्दश्च ध्रुवश्चैव क्षेमकश्च शिवस्तथा ३२ तानि तेषां सनामानि सप्तवर्षाणि भागशः। निवेशितानि तैस्तानि पूर्वं स्वायंभुवेऽन्तरे ३३ मेधातिथेस्तु पुत्रैस्तैः सप्तद्वीपनिवासिभिः। वर्णाश्रमाचारयुक्तः प्लक्षद्वीपे प्रजाः कृताः ॥३४ प्लक्षद्वीपादिकेष्वेव शाकद्वीपान्तरेषु वै । ज्ञेयः पवसु धर्मो वै वर्णाश्रमविभागशः ३५ पुत्र हुये ।२४। पहला उद्द् िवर्षे, दूसरा वेणुमण्डल, तीसरा स्वैरथाकारचौथा लवण, पाँचव धृतिमद् छठा प्रभाकर और सातFाँ कपिलनाम का वर्ष वह प्रसिद्ध है ।२५-२६। कुशद्वीप में इन पुत्रों के ही नाम पर द्वीपखण्ड हैं, जहाँ वर्णाश्रम धर्म के अनुरूप प्रजा रहती है । शाल्मलि द्वीप के अघिपति वपुष्मान् को श्वेत, हरित, जीमूत, रोहित, वैद्युत, मानस और सुप्रभ नामक सात पुत्र हुये ।२७२८। श्वेत के नाम पर श्वेत देश, रोहित के नाम पर रोहित, जीमूत के नाम पर जीमूत और हरित, चैद्युत, मानस और सुप्रभ के नाम पर हारित, वैद्युत, मानस और सुप्रभ देश हुये और ये ही सात उन सातों देशों के रक्षक भी हुये ।२९-३०॥ अब हम जम्बू द्वीप के परवर्ती अन्य सातों द्वीपों की कथा कहते हैं । मेधातिथि के सात पुत्र हुये, जो प्लक्ष द्वीप के अधीश्वर हुये । इनके बीच शान्तमय सबसे ज्येष्ठ थे। इन्हीं के नामानुसार वहाँ सात वर्ष भी हुये। शान्तमय के छोटे भाई थे-शिशिर, सुखोदय, आनन्द, ध्रुव, क्षेमक और शिव ।३१-३२। ये सब स्वायम्भुव मन्वन्तर के भोग काल में वर्तमान थे और इन्होंने अपने-अपने नाम के अनुसार सातों वर्षों का विभाग कर उन्हें चलाया । मेधातिथि के, उन पुत्रों ने जो सातों द्वीपों में निवास करते थे—प्लक्ष द्वीप में प्रजाओं को वर्णा श्रम के आचार से मुक्त कर दिया । प्लक्ष द्वीप से लेकर शाकद्वीप पर्यन्त पाँच द्वीपों में वर्णाश्रम विभाग के