पृष्ठम्:वायुपुराणम्.djvu/६३७

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वायुपुराणम् तेऽपश्यन्राक्षसं तत्र कामरूपं महाबलम् । सहसा संनिपाते तु दृष्ट्वा चैव परस्परस् रक्षमाणौ ततोऽन्योन्यं परस्परजिघृक्षपः । पितरावूचतुः कन्ये युवामानयतं द्रुतम् जीवनाहे विगृह्येनं विस्फुरन्तं पदे पदे | ततः समभितृत्यैनं कन्ये जगृहतुस्तदा ॥ गृहीत्वा हस्तयोस्ताभ्यामानीते पितृसंसदि ६१६ ॥११६ ॥११७ ॥११८ ॥ ११ ताभ्यां करे गृहीतं तं पिशाचावथ राक्षसम् | पृच्छतां कोऽसि कस्य त्वं स च सर्वमभाषत तस्य कर्माभिविज्ञातं ज्ञात्वा तौ राक्षतर्षभौ । अजस्य खण्डं तस्यैते प्रत्यपादयतां सुते तौ तुष्टौ कर्मणा तस्य कन्ये द्वे ददतुस्तु ते ॥१२० ॥१२१ ॥१२२ ॥१२३ पैशाचेन विवाहेन सुक्त्या वुद्धवाहनः | अजः खण्डन ताभ्यां तो तदाश्रावयतां धनम् इयं ब्रह्मवना नाम मम कन्या ह्यलोमिका | ब्रह्मसत्त्वर्धनाहारा इति खण्डोऽभ्यभाषत इयं जन्तुधना नाम कन्या सर्वाङ्गसुन्दरी | जन्तवोऽस्या धनाहारास्तावश्रावयतां धनम् सर्वाङ्गकेशी नाम्ना च कन्या जन्तुधना तथा | अकर्णान्ताऽप्यरोमा च कन्या ब्रह्मधना तु या ॥१२५ ॥१२४ . ये ।११२-११५। उन सबों ने वहीं महावलवान् इच्छानुसार रूप धारण करने वाले राक्षस को देखा । एकाएक एक दूसरे को आमने-सामने देखकर वे पिशाच गण और राक्षस अपनी-अपनी जान बचाने की चिन्ता मे लगे और एक दूसरे को पकड़ना भी चाहा । इसी वीच दोनो पिता अपनी-अपनी कन्याओं से बोले तुम दोनो शीघ्र इसे जीते जी पकड लामो, जो पग-पग पर फड़कते हुये चल रहा है । पिता के कथनानुसार उन दोनों कन्याओ ने समीप जाकर उसको ( राक्षस को ) पकड़ लिया और हाथ से पकड़ कर पिता की सभा में लाकर उपस्थित किया । कन्याओ द्वारा हाथ में पकड़े हुये राक्षस से उन दोनो पिशाचो ने कहा, बोलो तुम कौन हो ? किसके (पुत्र) हो, राक्षस ने सब बातें बतलाई |११६-११९| उसके कार्य एवं विचारों को सुनकर उन बलवान् आज ओर खण्ड (?) नामक पिशाचो ने सन्तुष्ट होकर दोनों कन्याओ को उसे सौंप दिया |१२०-१२१॥ पैशाचिक विवाह विधि के अनुसार उस सुन्दर दाँत वाली कन्या का विवाह बुद्धवाहन (?) आज और खण्ड ने उसके साथ सम्पन्न किया और पुत्री के गुण स्वभाव एवं धन का परिचय स्वयं सुनाया। खण्ड ने कहा, यह मेरी ब्रह्मवना नाम कन्या है इसके शरीर मे रोम नहीं हैं, यह सात्विक उपायों द्वारा अर्जित किये धन का आहार करती है, और ब्रह्म की आराधना मे तत्पर रहती है। और यह दूसरी जन्तुधना नाम की सर्वांग सुन्दरी कन्या है, जन्तुओ का यह आहार करती है, इस प्रकार उन दोनो ने कन्याओं के धन का परिचय कराया और आगे कहा कि यह दूसरी जन्तुवना नाम की कन्या जो है इसके समस्त अंगों में वाल है, और ब्रह्मघना नाम को जो कन्या है, उनके कान के ऊपर तक रोम हैं, शेप मँगों में रोम नही है । उस ब्रह्म घना ने ब्रह्म घन नामक 3 (