पृष्ठम्:वायुपुराणम्.djvu/८९४

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षण्णवतितमोऽध्यायः 1 माद्रवत्यां तु जनितवाश्विनाविति विश्रुतम् | नकुलः सहदेवश्च रूपसत्त्वगुणान्वितौ जज्ञे च श्रुतदेवायां तनयो वृद्धशर्मणः | करुषाधिपतिर्वीरो दन्तवक्को महाबलः कैकेय्यां श्रुतकीर्त्या तु जज्ञे संतर्दनः पुनः । चेकितानबृहत्क्षत्रौ तथैवान्यौ महाबलौ विन्दानुविन्दावावन्त्यौ भ्रातरौ सुमहाबली | श्रुतश्रवायां चैद्यस्त्र शिशुपालो बभूव ह दमघोषस्य राजर्षेः पुत्रो विख्यातपौरुषः । यः पुराऽऽसीदशग्रीवः संबभूवारिमर्दनः पटुश्रवानुजस्तस्य रुजकन्यानुजस्तथा । पत्न्यस्तु वसुदेवस्य त्रयोदश वराङ्गनाः पौरवी रोहिणी चैव मदिरा चापरा तथा । तथैव भद्रा वैशाखी देवकी सप्तमी तथा सुगन्धिर्वनराजी च द्वे चान्ये परिचारिके | रोहिणी पौरवी चैव वाल्मीकस्याऽऽत्मजाऽभवत् ज्येष्ठा पत्नी महाभागा दयिताऽऽनकदुन्दुभेः | ज्येष्ठं लेभे सुतं रामं सारणं निशवं तथा दुर्दमं दमनं शुभ्रं पिण्डारककुशीतकौ । चित्रां नाम कुमारीं च रौहिण्यण्टौ व्यजायत पौत्रौ रामस्य जज्ञाते विज्ञाता निशितोत्सुकौ । पार्धी च पार्श्वनन्दी च शिशुः सत्यधृतिस्तथा ॥१६४ मन्दवायोज्य रामाणगिरिको गिर एव च । शुक्लगुल्मेति गुल्मश्च दरिद्रान्तक एव च ॥१६३ ॥१६५ ८७३ ॥१५४ ॥१५५ ॥१५६ ॥१५७ ॥१५८ ॥१५६ ॥१६० ॥१६१ ॥१६२ नामक दो पुत्ररत्नों की उत्पत्ति हुई । ये दोनों पुत्र परम स्वरूपवान् एवं सत्त्वगुणशाली थे |१४९-१५४। वृद्धशर्मा ने श्रुतदेवा मे करूष देश के अधिपति वीर महावलशाली दन्तवक को उत्पन्न किया । केकयदेश की राजमहिषी श्रुतकीर्ति में सन्तर्दन नामक पुत्र की उत्पत्ति हुई, उसके अतिरिक्त चेकितान और बृहत्क्षत्र नामक दो अन्य महावलशाली पुत्र भी उसके उत्पन्न हुए ! अवन्ति देश के अधीश्वर विन्द और अनुविन्द – ये दोनो भाई भी उसी कें पुत्र थे | श्रुतश्रवा से चेदि देश का स्वामी शिशुपाल का जन्म हुआ |१५५-१५७७ वह शिशुपाल राजपि दमघोष का पुत्र था, उसके पौरुष की पर्याप्त प्रसिद्धि थी । वह पूर्व जन्म में शत्रुमदन दशग्रीव रावण के रूप में उत्पन्न हुआ था । पटुश्रवा अनुज और रुजकन्या अनुजा थी | वसुदेव की तेरह परम सुन्दरी स्त्रियाँ थी, उनके नाम थे, पौरबी, रोहिणी, अपरा, मदिरा, भद्रा, वैशाखी और देवकी । ये सात पटरानियाँ थी । सुगन्धि और वनराजी ये दो परिचारिकाएँ थीं । रोहिणी और पौरवी- ये दोनों वाल्मीक की कन्याएँ थीं। सब से बड़ी पत्नी रोहिणी महाभाग्यशालिनी आनकदुन्दुभि वसुदेव की परम प्रिया थीं, उनके संयोग से सबसे बड़े पुत्र बलराम को तथा अन्य सारण, निशव, दुर्दम, दमन, शुभ्र, पिण्डारक, कुशीतक नामक आठ पुत्रों को एवं चित्रा मामक एक कुमारी को उत्पन्न किया |१५८-१६३ | बलराम के दो निशित और उत्सुक नामक विख्यात पुत्र उत्पन्न हुए। वसुदेव के पौत्र थे । इनके अतिरिक्त पाव, पार्श्वनन्दी, शिशु, सत्यधृति, मन्दवाह्य, रामाण, गिरिक, गिर, शुल्कगुल्म, गुल्मदरिद्रान्तक नामक पुत्र भी बलराम के थे । इनसे बड़ी पाँच कुमारियाँ भी थी, फा०-११०