पृष्ठम्:वायुपुराणम्.djvu/९६३

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६४२ वायुपुराणम् प्रत्यग्रहः कुशश्चैव यमाहुर्मणिवाहनस् । प्रार्थत्यत्र ललित्यश्च मत्स्यकालस्य सप्तमः बृहद्रथस्य दायादः कुशाग्रो नाम विश्रुतः | कुशाग्रस्याऽऽत्मजयचैव ऋषभो नाम वीर्यवान् ऋषभस्यापि दायाद पुष्पवान्नाम धार्मिकः । विक्रान्तस्तस्य दायादो राजा सत्यहितः स्मृतः तस्य पुत्रः सुधन्वा च तस्मादूर्जः प्रतापवान् । ऊर्जस्य नभसः पुत्रस्तस्माज्जज्ञे स वीर्यवान् शकले द्वे स वै जातो जरया संधितस्तु सः । जरासंधो महावाहुर्जरया संधितस्तु सः सक्षत्रस्य जेताऽसौ जरासंधो महाबलः । जरासंधस्य पुत्रस्तु सहदेवः प्रतापन् सहदेवात्मजः श्रीमान्सोमाधिः सुमहातपाः । श्रुतश्रवास्तु सोमाधेर्मागधः परिकीर्तितः सूत उवाच परीक्षितस्य दायादो बभूव जनमेजयः । *जनमेजयस्य पुत्रस्तु सुरथो नाम भूमिपः ॥ सुरथस्य तु दायादो भोमसेनोऽपि नामतः जह नुस्त्वजनयत्पुत्रं सुरथं नाम भूमिपम् । सुरथस्य तु दायादो वीरो राजा विदूरथः ॥२२२ ॥२२३ ॥२२४ ॥२२५ ॥२२६ ॥२२७ ॥२२८

॥२२६ ॥२३० उसके अतिरिक्त, प्रत्याग्रह, कुश, मणिवाहन, प्रायैल्य, ललित्य और मत्स्यकाल नामक अन्य छः पुत्र भी थे । वृहद्रथ का उत्तराधिकारी परम विख्यात राजा कुशाग्र हुआ | उस कुशाग्र का पुत्र परम बलवान् ऋषभ था । ऋषभ का उत्तराधिकारी परम धार्मिक पुष्पवान् था, जिसका योग्य उत्तराधिकारी विक्रमणालो राजा सत्यहित कहा जाता है | २२२-२२४। उस राजा सत्यहित का पुत्र सुधन्वा था, उससे प्रतापशाली ऊर्ज का जन्म हुआ, ऊर्ज का पुत्र राजा नभस् था, उस नभस् से परमवलशाली उस राजा का जन्म हुआ, जिसके जन्म के पहिले दो टुकड़े उत्पन्न हुये थे, जरा नामक राक्षसी ने उन दोनों टुकड़ों को आपस में जोड़ दिया, अर्थात् वह परम वलशाली पुत्र महावाहु जरासंघ था, जरा से संघित होने के कारण उसका यह नाम विख्यात था । महाबलशाली यह राजा जरासन्ध अपने समय के समस्त क्षत्रियों को पराजित करनेवाला था | उस जरासंध का पुत्र प्रतापशाली सहदेव था | सहदेव का पुत्र महान् तपस्वी श्रीमान राजा सोमाधि था, उस सोमाधि था, उस सोमाधि का पुत्र श्रुतश्रवा हुआ -- मगधवंशीय राजाओं का वर्णन कर चुका |२२५-२२८| सूत वोले - ऋषिवृन्द ! परीक्षित का उत्तराधिकारी राजा जनमेजय था । उस राजा जनमेजय का पुत्र पृथ्वीपति सुरथ हुआ । मुरथ का पुत्र भी भोमसेन नाम से विख्यात हुआ | २२६ जतं. ने भी एक सुरथ नामक पुत्र को उत्पन्न किया था, जो अपने समय में पृथ्वीपति था। उस सुरथ का उत्तराधिकारी राजा विदूरथ जन्मा । विदूरथ का पुत्र भी सार्वभौम नाम से विख्यात हुआ । इदमधं न विद्यते क. ख. घ. पुस्तके |