पृष्ठम्:वायुपुराणम्.djvu/९६९

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६४५ वायुपुराणम् क्षेमकं प्राप्य राजानं संस्थां प्राप्स्यति वै कलौ । इत्येष पौरवो वंशो यथावदनुकोतितः धीमतः पाण्डुपुत्रस्य अर्जुनस्य महात्मनः । अत ऊर्ध्वं प्रवक्ष्यामि इक्ष्वाकूणां महात्मनाम् बृहद्रथस्य दायादी वीरो राजा वृहत्क्षयः । ततः क्षयः सुतस्तस्य वत्सव्यूहस्ततः क्षयात् नत्सव्यूहात्प्रतिव्यूहस्तस्य पुत्रो दिवाकरः । यच सांप्रतमध्यास्ते अयोध्यां नगरों नृपः दिवाकरस्य भविता सहदेवो महायशाः । सहदेवस्य दायादो वृहदश्वो भविष्यति तस्य भानुरथो भाव्यः प्रतीताश्वश्च तत्सुतः । प्रतीताश्वसुतश्चापि सुप्रतीतो भविष्यति ॥ सहदेवः सुतस्तस्य सुनक्षत्रश्च तत्सुतः ॥२५४ ||२८५ ॥२८६ किंनरस्तु सुनक्षत्राद्भविष्यति परंतपः । भविता चान्तरिक्षस्तु किनरस्य सुतो महान् अन्तरिक्षात्सुपर्णस्तु सुपर्णाच्चाप्यमित्रजित् । पुत्रस्तस्य भरद्वाजो धर्मो तस्य सुतः स्मृतः पुत्रः कृतंजयो नाम धर्मिणः स भविष्यति । कृतंजयसुतो व्रातो तस्य पुत्रो रणंजयः भविता संजयश्चापि वोरो राजा रणंजयात् । संजयस्य सुतः शाक्यः शाक्याच्छुद्धोदनोऽभवत् ||२८८ शुद्धोदनस्य भविया शाक्यार्थे राहुलः स्मृतः । प्रसेनजित्ततो भाव्यः क्षुद्रको भविता ततः ॥२८७ ॥२८६ ॥२७६ ॥२८० ॥२८१ ||२८२ ॥२८३ समाप्त हो जायेगा । पौरवयंश का वृत्तान्त, जैसा कुछ कहा जाता है आप लोगों को बतला चुका |२७८-२७६। पाण्डुपुत्र महान् वलशाली अर्जुन का विख्यात पौरववंश समाप्त हो गया | अब इसके उपरान्त महान् बलशाली इक्ष्वाकुवंशी राजाओं का वर्णन कर रहा हूँ । बृहद्रथ का उत्तराधिकारी वीर राजा बृहत्क्षय था। उसका पुत्र क्षय हुआ, क्षय से वत्सव्यूह नामक पुत्र की उत्पत्ति हुई, वत्सव्यूह से प्रतिव्यूह नामक पुत्र की उत्पत्ति हुई, उसका पुत्र दिवाकर हुआ । यह राजा दिवाकर सम्प्रति अयोध्या नगरी का राजा है |२५०- २८२ | दिवाकर पुत्र महान् यशस्वी सहदेव होगा, सहदेव का उत्तराधिकारी बृहदश्व होगा । बृहदश्व का पुत्र भानुरथ होगा | उसका पुत्र प्रतीसाएव होगा | प्रतीताश्व का पुत्र सुप्रतीत होगा । सुप्रतीत का पुत्र सहदेव होगा, उसका पुत्र सुनक्षत्र होगा | सुनक्षत्र से परम तपस्वी किन्नर नामक पुत्र होगा । किन्नर का पुत्र अन्तरिक्ष अपने समय का महान् राजा होगा |२८३-२८५ अन्तरिक्ष से सुपर्ण और सुपर्ण से अमित्रजित् नामक पुत्र होगा | अमित्रजित का पुत्र भरद्वाज होगा, उसका पुत्र धर्मी नाम से स्मरण किया जायगा | धर्मी का पुत्र कृतञ्जय होगा, कृतज्ञ्जय का पुत्र व्रात और व्रात का पुत्र रणञ्जय होगा | रणञ्जय से परम वीर पुत्र सञ्जय की उत्पत्ति होगी। सञ्जय का पुत्र शाक्य और शाक्य से शुद्धोदन नामक पुत्र उत्पन्न होगा | २८६-२८८ शाक्यवंश में शुद्धोदन का पुत्र राहुल होगा। राहुल से प्रसेनजित और प्रसेनजित् से क्षुद्र नामक पुत्र होगा क्षुद्रक के क्षुलिक और क्षुलिक से सुरथ नामक पुत्र उत्पन्न