पृष्ठम्:वायुपुराणम्.djvu/९७२

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नव॑नवतितमोऽध्यायः स वै प्रणतसामन्तो भविष्येऽनयवर्जितः । त्रयोविंशत्समा राजा भविता स नरोत्तमः 1 Éx9 ॥३११ ॥३१२ ॥३१३ चतुविशत्समा राजा पालको भविता तत्तः । विशाखयूपो भविता नृपः पञ्चाशती समाः एकविंशत्समा राज्यमजकस्य भविष्यति । भविष्यति समा विशत्तत्सुतो वर्तिवर्धनः अष्टत्रिंशच्छतं भाव्याः प्राद्योताः पञ्च ते सुताः । हत्वा तेषां यशः कृत्स्नं शिशुनाको भविष्यति ॥ वाराणस्यां सुतस्तस्य संप्राप्स्यति गिरिव्रजम् | शिशुनाकस्य वर्षाणि चत्वारिंशद्भविष्यति ॥३१५ शकवर्णः सुतस्तस्य षट्त्रिंशच्च भविष्यति । ततस्तु विशत राजा क्षेमवर्मा भविष्यति ॥३१६ अजातशत्रुर्भविता पञ्चविंशत्समा नृपः । ( *चत्वारिंशत्समा राज्यं क्षत्रौजाः प्राप्स्यते ततः ॥३१७ अष्टाविंशत्समा राजा विविसारो भविष्यति । पञ्चविंशत्समा राजा दर्शकस्तु भविष्यति उदायी भविता यस्मात्त्रयस्त्रिशत्समा नृपः | वै स पुरवरं राजा पृथिव्यां कुसुमाह्वयम् ॥ गङ्गाया दक्षिणे फूले चतुर्थेऽन्दे करिष्यति ॥३१८ द्वाचत्वारिंशत्समा भाव्यो राजा वै नन्दिवर्धनः । चत्वारिंशत्त्रयं चैव महानन्दी भविष्यति ॥३१६ ॥३२० किसी प्रकार का अनैतिक कार्य नहीं करेगा। सभी सामन्त लोग उसके सम्मुख प्रणत होंगे। इस प्रकार वह नरश्रेष्ठ तेईस वर्षों तक राज्य करेगा |३०८-३११। उसके बाद पालक नामक राजा चौबीस वर्षो तक राज्य करेगा | फिर विशाखयूप नामक राजा होगा, वह पचास वर्षों तक राज्य करेगा। फिर अजक नामक राजा का इकतीस वर्षो तक राज्य होगा । तदनन्तर उसका पुत्र वर्तिवर्धन बीस वर्षों तक राज्य करेगा । प्रद्योत के उपर्युक्त पाँच वंशज राजा लोग इस प्रकार एक सौ अड़तीस ( १३८ ) वर्षो तक राज्य करेंगे । तदनन्तर उन सब के यश को समूलतः नष्ट करके शिशुनाक नामक राजा होगा |३१२०३१४ | सर्व प्रथम यह गिरिव्रज प्रदेश का राजा होगा, तत्पश्चात् इसका पुत्र वाराणसी का राजा होगा । शिशुनाक चालीस वर्षों तक राज्य करेमा । उसका पुत्र शकवर्ण छत्तीस वर्ष तक राज्य करेगा। उसके उपरान्त राजा क्षेमवर्मा बीस वर्षो तक राज्य करेगा । उसके बाद राजा अजातशत्रु पच्चीस वर्षों तक राज्य करेगा । तदन्तर क्षतीजा नामक राजा चालीस वर्षों के लिये राज्य पद प्राप्त करेगा। उसके बाद रागा विविसार अठाईस वर्षों तक राज्य करेगा। फिर दर्शन नामक राजा पच्चीस वर्षं तक राज्य करेगा ।३१५-३१८। तदुपरान्त उदायो तामक राजा तैतीस वर्षा तक राज्य करेगा | वह राजा उदायी पृथ्वी माण्डल में कुसुम नाम से विख्यात, परम रमणीय नगर में गंगा के दाहिने तट पर अपने शासन काल के चतुर्थ वर्ष में अपना निवास स्थान निर्मित करेगा । उसके बाद राजा नन्दिवर्धन बयालीस वर्षों तक राज्य पद का उपभोग करेगा । फिर महानन्दी नामक राजा पैतालीस वर्षों तक राज्य करेगा |३१६-३२०। ये उपर्युक्त दस राजा

  • इत आरभ्य पचविशत्समा नृप इत्यन्तः पाठो ह. पुस्तके नास्ति |