पृष्ठम्:वायुपुराणम्.djvu/९७४

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नवनवतितमोऽध्यायः भविता भद्रसारस्तु पञ्चविंशत्समा नृपः । षड्विंशत्तु समा राजा अशोको भविता नृषु तस्य पुत्रः कुनालस्तु वर्षाण्यष्टौ भविष्यति । कुनालसुनुरष्टौ च भोक्ता वै बन्धुपालितः बन्धुपालितदायादो दशमानीन्द्रपालितः । भविता सप्त वर्षाणि देववर्मा नराधिपः राजा शतधरश्चाष्टौ तस्य पुत्रो भविष्यति । बृहदश्वश्च वर्षाणि सप्त वै भविता नृपः इत्येते नंव भूपा ये भोक्ष्यन्ति च वसुंधराम् । सप्तत्रिंशच्छतं पूर्ण तेभ्यः शुङ्गान्गमिष्यति पुष्पमित्रस्तु सेनानीरुद्धृत्य वै बृहद्रथम् | कारयिष्यति वै राज्यं समाः षष्टि सदैव तु पुष्पमित्रसुताश्चाष्टौ भविष्यन्ति समा नृपाः | भविता चापि तज्ज्येष्ठः सप्त वर्षाणि वै ततः वसुमित्रः सुतो भाव्यो दश वर्षाणि पार्थिवः । ततोऽन्ध्रकः समा द्वै तु भविष्यति सुतश्च वै भविष्यन्ति समास्तस्मात्तिस्र एव पुलिन्दकाः । राजा घोषसुताश्चापि वर्षाणि भविता त्रयः ( ? ) ॥ ततो वै विक्रमित्रस्तु समा राजा ततः पुनः । द्वात्रिंशद्भविता चापि समा भागवतो नृपः भविष्यति सुतस्तस्य क्षेमभूमिः समा दश | दशैते शुगराजानो भोक्ष्यन्तीमां वसुंधराम् शतं पूर्णं दश द्वे च तेभ्यः किं वा गमिष्यति । अपार्थिवसुदेवं तु बाल्याद्व्यसनिनं नृपम् ॥३३९ ॥३४१ ॥३४२ ॥३४३ ६५३ ॥३३२ ॥३३३ ॥३३४ ॥३३५ ॥३३६ ॥३३७ ॥३३८ होगा। फिर अशोक नामक राजा मनुष्यों में छव्वीस वर्षों तक राज्य करेगा |३३१-३३२। उसका पुत्र कुनाल आठ वर्ष राज्य करेगा । इन्द्रपालित कुनाल का पुत्र बन्धुपालित आठ वर्षों तक राज्यपद पर समासीन होगा। बन्धुपालित का उत्तराधिकारी दस वर्ष के लिये राजा होगा | फिर नराधिपति देववर्मा सात वर्ष के लिये राजा होगा । तदु- परान्त उसका पुत्र राजा शतधर आठ वर्ष राज्य करेगा | पश्चात् राजा वृहदश्व सात वर्ष राज्य करेगा |३३३- ३३५॥ ये नन्दवंश के नव राजा पृथ्वी का भोग करेंगे, उन सब का राजत्व-काल कुल मिलाकर एक सौ सैतीस (?) वर्षों का होगा । इन नन्दवंशीय राजाओं के हाथ से शासन शुङ्गों के हाथ में चला जायगा । अन्तिम राजा बृहदश्व का सेनापति पुष्पमित्र उसको मारकर स्वयं साठ वर्षो तक राज्य करेगा | पुष्पमित्र के आठ पुत्र होगे, जो सब के सब राजा होंगे। सब से बड़ा पुत्र सात वर्षों तक राज्य पद पर प्रतिष्ठित होगा |३३६-३३८। फिर वसुमित्र नामक पुत्र दस वर्ष के लिये राजा होगा। फिर अन्ध्रक नामक पुत्र दो वर्ष के लिये राजा होगा | फिर पुलिन्दक तीन वर्ष के लिये और घोषसुत भी तीन वर्ष के लिये राजा बनेगा । उसके बाद राजा विक्रमित्र भी तीन वर्ष के लिये राजा होगा । तदनन्तर भागवत नामक राजा होगा, जो वत्तीस वर्षो तक राज्य करेगा । फिर उसका पुत्र क्षेमभूमि दस वर्ष तक राजा होगा । उपर्युक्त शुङ्गवंशीय दस राजा इस पृथ्वी का उपभोग करेंगे । उन सब का राजत्वकाल एक सौ बारह ( ? ) वर्षो (?) का होगा | ३३६-३४२३। फिर बाल्यकाल से ही व्यसन में निरत रहनेवाले सुदेव राजा के हाथ में शासनशक्ति आयेगी । शृङ्गवंशियों में एक फा० - १२०