पृष्ठम्:वायुपुराणम्.djvu/९७५

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वायुपुराणम् ॥३४४ ॥३४५ देवभूमिस्ततोऽन्यश्च शृङ्गेषु भविता नृपः । भविष्यति समा राजा नवकण्ठायनस्तु सः भूतिमित्रः सुतस्तस्य चतुर्विंशद्भविष्यति । भविता द्वादश समा तस्मान्नारायणो नृपः सुशर्मा तत्सुतश्चापि भविष्यति समा दश | चतु ( त्वा ) रस्तुङ्गकृत्यास्ते नृपाः कण्ठायना द्विजाः || भाव्याः प्रणतसामन्ताश्चत्वारिंशच्च पञ्च च । तेषां पर्यायकाले तु तरन्धा तु भविष्यति कण्ठायनमथोद्धृत्यसुशर्माणं प्रसह्य तम् । शुङ्गानां चापि यच्छिष्टं क्षपयित्वा वलं तदा ॥ सिन्धुको ह्यन्धुजातीयः प्राप्स्यतीमां वसुंधराम् ॥३४७ ॥३४८ ॥३५० त्रयोविंशत्समा राजा सिन्धुको भविता त्वथ | अण्टौ भातश्च वर्षाणि तस्माद्दश भविष्यति ( ? ) ॥३४६ श्रीशातकणर्भविता तस्य पुत्रस्तु वै महान् | पश्चाशतं समाः षट् च शातकणिर्भविष्यति* आपादबद्धो दश वै तस्य पुत्रो भविष्यति । चतुर्विंशत्तु वर्षाणि पट् समा वै भविष्यति भविता नेमिकृष्णस्तु वर्षाणां पञ्चविंशतिम् । ततः संवत्सरं पूर्ण हालो राजा भविष्यति पञ्चसप्तकराजानो भविष्यन्ति महावलाः | भाव्यः पुत्रिकषेणस्तु समाः सोऽप्येकविंशतिम् ॥३५१ ॥३५२ ॥३५३ देवभूमि नामक अन्य राजा भी होगा, कण्ठायन नाम से नव वर्षों तक राज्य करेगा | उसका पुत्र भूतिमित्र चौबीस वर्षों तक राज्य पद अधिकारी होगा। उसके बाद राजा नारायण बारह वर्षों के लिये राजा होगा ।३४३-३४६। फिर उसका पुत्र सुशर्मा दस वर्ष तक राजा होगा | द्विजवृन्द ! ये उपर्युक्त कठोर कर्म करने- वाले चार राजा कण्ठायन नाम से प्रसिद्ध होंगे, इन कण्ठायन नाम से विख्यात राजाओं के राज्यकाल में सामन्त- गण सर्वदा विनम्र रहेगे, इनका शासनकाल कुल मिलाकर पैतालीस वर्षों का होगा । इनके उपरान्त बाम्ध्रवंशीय राजा होंगे । कण्ठायन उपाधिधारी राजाओं के अन्तिम नरपति सुशर्मा को, तथा शुगवंशीय राजाओं की सेनाओं को युद्धस्थल में पराजित कर अन्ध्रजातीय सिन्धुक नामक एक राजा इस पृथ्वी को प्राप्त करेगा । वह सिन्धुक तेईस वर्षो तक राज्यपद पर प्रतिष्ठित होगा । उसके उपरान्त भात (?) नामक राजा अठारह वर्षो के लिए राजा होगा । ३४६-३४६। उसके बाद उसका पुत्र शातकणि अपने समय का महान् राजा होगा, वह छप्पन वर्षों तक शासन की बागडोर अपने हाथ में रखेगा। तदनन्तर शातकणि का पुत्र राजा आपादवद्ध होगा, वह दस, चौवीस और छः वर्षो तक राज्य करेगा (?) उसके बाद नेमिकृष्ण पच्चीस वर्ष के लिये राजा बनेगा। तदनन्तर हाल नामक राजा पूरे एक वर्ष के लिये शासनाधिरूढ़ होगा। इस वंश में पाँच सात राजा महाबलवान् होंगे । हाल के बाद पुत्रिकर्षण इक्कीस वर्षों तक राज्य करेगा | उसके बाद सातकणि नराधिपति होगा, जो पूरे एक वर्ष

  • इत उत्तरमेतदर्धमधिकम् - 'आपीलवा द्वादश वै तस्य पुत्रो भविष्यति' इति ख. ङ. पुस्तकयोः ।