पृष्ठम्:वैशेषिकदर्शनम्.djvu/१०२

एतत् पृष्ठम् अपरिष्कृतम् अस्ति
१००
'वैशेषिक-दर्शन ।

नोदनापीडनात् संयुक्तसंयोगाच ॥ ६ ॥

नोदन के मवल चेग से संयुक्त संयोग से

व्या-किरणों का जल को धकेलने का जो प्रवलवेग है, उस वेग से, और किरण संयुक्त उष्ण वायु के संयोग से जलों का आरोहण होता है। जैसे आणि पर धरी चटलोई कं जल तेज के मवल नोदन से और तेज संयुक्त वायु के संयोग से ऊपर चढ़ते हैं।

वृक्षाभिसर्पणभित्यदृष्ट कारितम् ॥ ७ ॥

वृक्ष के सब ओर चळना अदृष्ट से कराया जाता है।

व्या-दृक्ष के मूल में सिचे हुए जल वृक्ष की जड़ों तने डाल डाली पत्तों में फैठते हैं, जिम से वृक्ष की पुष्टि होती है। यह उन का फैलना-वृक्ष में जो मूल से लेकर पत्तों तक सूक्ष्म नाडियां है, इस अदृष्ट शक्ति से उन में रस का आकर्षण होना है, इस से दृक्ष जीता रहता है।

अपां संघातो विलयनंच तेजः संयोगात् ॥८

जलों का जमना और पिघलना तेज के संयोग से ।

व्या-ये जो आले वा बर्फ गिरती है, और गिरी हुई फिर पिघलती है, यह तेज के संयोग विशेष से होता है। एक विशेष मात्रा में जघ तेज का संयोग रह जाता है तव जल जम जाते हैं, यह तेज बहुत थोड़ा होता है, अतएव ओले और बर्फ जल से अधिक शीतल होतें हैं । उस में बाहर से और अधिक तेज के प्रवेश करने से ओले और वर्फ पिघल कर जल वन जाते हैं, अत्एव जल उतना ठंडा नहीं रहता है ।