सो नोदन और अभिघात : शून्य अमूर्त द्रव्य होने से दिशा काल ओर आाक श निष्क्रिय हैं ।
एतन कर्माणि गुणाश्च व्याख्याताः ॥ २२ ॥
इस, से (क्रिया चालों से विरुद्ध धर्मवाले होने से) कर्म और गुण व्याख्या किये गए (क्योंकि कर्म और गुण द्रव्य ही नहीं, अतएव इन में नोदन और अभिघात नहीं होता )
संस-यदि गुण और कर्म निष्क्रिय हैं, तो उन का द्रव्य से सम्ब न्ध कैसे होता है, क्योंकि एक का दुसरे से सम्बन्ध क्रिया के अधीन होता है, इस का उत्तर देते है
निष्क्रियाणां समवायः कर्मभ्यो िनषिद्धः |२३
निष्क्रियों का समवाय कम से निषेध किया है ( गुण औीर कर्म का सम्वन्ध समवाय है, और समवाय सम्बन्ध कर्म जन्य नहीं होता. कर्मजन्य संयोग सम्वन्ध होता है। ।
सं-गुण यदि कर्म से शून्य है, तो गुण गुणों और कमाँ के कारण कैसे होते हैं, कारण यदि विना कर्म के हो, तो बिना कर्म के तन्तुओं से वस्त्र, मट्टी से घड़ा और बीज से अंकुर उत्पन्न हो, पर होता नहीं, इस से स्पष्ट है, कि कारणता विना कर्म के होती नहीं ? इस का उत्तर देते है
कारणं त्वसमवायिनो गुणाः ॥ २४ ॥
( ऊपर के उदाहरणों से इतना ही सिद्ध होता है, कि द्रव्य दृमरे द्रव्य का समवायिकारण बिना कर्म के नहीं होता पर गुण असमवायि कारण हैं (इस लिए दोष नहीं ) । गुणैर्दिग व्याख्याता ॥ २५ ॥