र (क)एक तो वर्धमानोपाध्यायनामी विरचित ‘किर गावली मकाश' नामी व्याख्यान है, (ख) और दृमरा पद्म rाभ विरचित किरणावली भास्कर’ नामी स्याख्यान है । (५) किरणावली प्रकाश' एर भगीरथ ठझर विरचित 'द्रव्य मका शका? और श्रीरघुनाथ भट्टाचार्य कृत 'गुण प्रकाश विद्यति । ीका है, जो ‘गुणदीधिति' नाम से प्रसिद्ध है । (६) गुण [काश विद्यति' पर (क) एक तो मथुरानाथ तर्कवागीशा विर चेत 'गुणप्रकाश िवटतिरहस्य' नामी टीका है, जो ‘गुणदी धति माथुरी, नाम से भसिद्ध हैं । मथुरानाथ ने गुण प्रकाश दृति के मूल ग्रन्थ 'गुणप्रकाश' की भी व्याख्या की है, ो, गुणप्रकाशरहस्य' नाम से प्रसिद्ध है। और 'गुणप्रकाश मूल ग्रन्थ 'गुण ि किरणावली' की भी व्याख्या की है, जो गुण किरणावली रहस्य' नाम से प्रसिद्ध है । (ख) दूसरी द्र भट्टाचार्ये कृत 'गुणप्रकाश विद्याति भावभकाशिका ? नामी का है, जो ‘गुणप्रकाशविष्टतिपरीक्षा' नाम से प्रसिद्ध है, (ग) और तीसरी रामकृष्ण कृत (घ) और चौथी जयराम भट्टा [ार्य कृत व्याख्या है । भाष्यादे सारे ग्रन्थ दो भागों में न्धकारों ने बांटे हैं। आरम्भ मे आत्मा के निरूपण पर्यन्त व्यग्रन्थ, उस से अगला सारा ग्रन्थ गुणग्रन्थ कहा जाता है। नमें से प्रशास्तपाद् भाष्य और उस पर 'न्यायकन्दली ? तो प चुके हैं, 'किरणावली' और उस पर किरणावली' प्रकाश शियाटिक कलकत्ता की से छप रहे हैं। सांसायटी आंर
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भूमिका ।