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'वैशेषिक-दर्शन ।

- नोदनविशेषाभावान्नोध्वै न तिर्यग्गमनम् ८

नोदन विशेष के अभाव से नऊपरनतिरछा जाना होता है। नोदन=धकेलने चाळा संयोग । वस्तु को आगे धकेलने वाला नेोदन एकभिन्न प्रकार का होता है और ऊपर धकेलनेवाला भिन्न प्रकार का । सो गुरुत्व वाली वस्तु नेोदन विशेष से ऊपर जाता है, और नोंदन विशेष से आड़ी जाती है, विना नोदन के गुरुत्व से नीचे गिरती है। सोगुरुत्व पतन का कारण है. नीदन विनष-उससे विपरीतःऊपर वा आड़ा ले जाता है ।

प्रयतविशेषान्नोदनविशेषः'॥ ९ ॥

नोदनविशेषादुदसनविशेषः ॥ १० ॥

(आत्मा में उत्पन्न हुए) मयत्र के-भेद से’ नोदन -में भेद होता-है ॥ ९ ॥ फिर नोदन-के भेद से फैकने-में (ऊपर, नीचे दूर, दूर-तर फेंकने में) भेद:होता है।

चलानाकैसे होता है; क्योंकि नतो वह इच्छा पूर्वेकहाथ पाओं: को चलाता है, और-न.ही वहाँकोई • नोदन है, इस-का- उत्तर देते हैं

-हस्तकमणाः दारकमव्याख्यातम्-4॥ ११४॥1 - 1

व्या-जैसे मूसल के संयोग मे हाथ बिना इच्छा के ऊपर