पुटमेतत् सुपुष्टितम्
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विषयः | पुटसङ्ख्या | |
'पादुकाग्रयाभिषेकं' इति शब्दार्थः | .... 72 | |
रामायणसर्गश्लोकसङ्ख्यानिर्णयः | .... 77 | |
रामस्य स्वप्रशंसात्मकरामायणश्रवणसमर्थनम् | .... 86 | |
काव्यलक्षणं, तत्समन्वयश्च | .... 87 | |
वसिष्ठस्यैव पुरोहितत्वं, गुरुत्वं च | .... 109 | |
वेश्याभिः ऋश्यशृङ्गानयने दोषाभावसमर्थनम् | .... 117 | |
ऋश्यश्रृङ्गस्य महर्षित्वसमर्थनम् | .... 125 | |
पायसविभजनम् | .... 169 | |
रामावतारस्य वालिसुग्रीवाद्युत्पत्तेश्च पौर्वापर्यविचारः | .... 172 | |
वानरादिरूपेण देवानामवतारे हेतुः | .... 173 | |
रामवालिवैरनिमित्तम् | .... 174 | |
अक्षौहिणीस्वरूपम् | .... 199 | |
बलेः यजनसमर्थनम् | .... 251 | |
अहल्याशापविचारः | .... 362, 363 | |
त्रिशङ्कोश्चण्डालत्वविचारः | .... 406 | |
विश्वामित्रस्य त्रिशङ्कुयाजनसमर्थनम् | .... 413 | |
'अन्यमिन्द्रं करिष्यामि' इति श्लोकार्थः | .... 418 | |
शुनश्शेफविक्रयसमर्थनम् | .... 425 | |
हरिश्चन्द्रोपाख्यानयोर्विरोधपरिहारः | .... 431 | |
विष्णुशिवयुद्धविचारः | .... 507 | |
वैष्णवधनुःकथायां विरोधपरिहारः | .... 507, 509 | |
परशुरामवृत्तान्ते विरोधपरिहारः | .... 510 | |
परशुरामस्य एकविंशतिवारं निक्षत्रीकरणप्रतिज्ञाया मूलम् | .... 510 | |
'इमां त्वद्गतिं' इत्यत्र गतिशब्दार्थः | .... 516 | |
सीताविवाहस्य स्वयंवरत्वविचारः | .... 526 |